Thursday, 31 March 2016

Terrorism a challenge to entire humanity: PM Modi in Brussels

नमस्‍ते।
मेरा सौभाग्‍य है कि आज मुझे लोकदूतों के आशीर्वाद पाने का अवसर मिला है। हम विदेश में जाते हैं तो राजदूतों को तो मिलते हैं लेकिन लोकदूतों को मिलना एक सौभाग्‍य होता है और सरकार में अगर राजदूत है तो आप भारत के लोकदूत हैं, जो भारत की सांस्‍कृतिक परम्परा को, भारत को दुनिया के सामने अपने व्‍यवहार से, अपनी वाणी से, अपने विचारों से, परिचित करवाते हैं, प्रभावित करते हैं। ऐसे सभी ये हजारों लोकदूतों को मेरा नमस्‍कार।

गत सप्‍ताह ब्रसेल्‍स में एक भयंकर आतंकवादी घटना घटी। जिन लोगों को अपने प्राणप्रिय स्‍वजन गंवाने पड़े हैं उन परिवारों के प्रति मैं आदरपूर्वक अपनी श्रद्धा समर्पित करता हूं। यहां के जीवन में इस प्रकार की घटनाएं अपने-आप में एक लम्‍बे अरसे के बाद इतना बड़ा कांड इस धरती को सहना पड़ा है। आतंकवाद कितना भयंकर है, कितना निर्दयी है ये अब दुनिया भली-भांति जान गई है। गत वर्ष दुनिया के 90 देश किसी न किसी आतंकवादी घटना के शिकार हुए हैं, हजारों लोगों ने अपनी जान गंवाई और दूसरी तरफ सैंकड़ों मां-बाप हैं, जो आंसू बहा रहे हैं क्‍योंकि उनकी संतान आतंकवाद के रास्‍ते पर चल पड़ी है। आतंकवाद किसी देश के सामने चुनौती नहीं है, आतंकवाद किसी भू-भाग पर चुनौती नहीं है, आतंकवाद मानवता को चुनौती दे रहा है। और इसलिए समय की मांग है कि जो भी मानवता में विश्‍वास करते हैं, दुनिया की उन सारी शक्तियों ने एकत्र आ करके आतंकवाद से मुकाबला करना होगा।
आतंकवाद जितना भयंकर है उससे ज्‍यादा चिंता इस बात की हो रही है कि इतने बड़े संकट के बावजूद भी हजारों लोगों, निर्दोष लोगों की मौत के बावजूद भी दुनिया इस विकराल रूप को पहचानने में कम पड़ रही है। और उसके कारण मानवतावादी शक्तियों में बिखराव नजर आता है। कभी good terrorism, bad terrorism वो जाने-अनजाने में आतंकवाद को एक अलग प्रकार की ताकत पहुंचाता है। और इसलिए समय की मांग है कि दुनिया इस आतंकवाद की भयानकता को समझे। भारत 40 साल से आतंकवाद के कारण परेशान है। युद्ध में भारत ने जितने जवानों को नहीं गवांया, उससे ज्‍यादा जवान आतंकवादियों की गोलियों से मरे हैं, शहीद हुए हैं और भारत जब चीख-चीख के दुनिया को कहता था कि आतंकवाद निर्दोषों के जीवन का दुश्‍मन बन चुका है। मेरा स्‍वयं का अनुभव है दुनिया की बड़ी-बड़ी ताकतें हमें समझाती थीं कि आतंकवाद नहीं है ये तो आपका law and order problem है। लेकिन जब धरती पैरों के नीचे से हिलने लगी, तब दुनिया को पता चला कि आतंकवाद क्‍या होता है।

Nine/Eleven (9/11) ने दुनिया को झकझोर दिया, तब तक दुनिया ये मानने को तैयार नहीं थी कि भारत कितने बड़े संकट को झेल रहा है। लेकिन भारत आतंकवाद के सामने झुका नहीं और झुकने का तो सवाल ही नहीं उठता। लेकिन आतंकवाद के खिलाफ मुकाबला ये एक बहुत बड़ी चुनौती है। मैंने दुनिया के कई वरिष्‍ठ नेताओं से बात की। अलग-अलग सांप्रदायों से जुड़े हुए नेताओं से बात की। और उनको मैंने समझाया कि आतंकवाद को religion से delink कर देना चाहिए पहले। कोई धर्म आतंकवाद नहीं सिखाता है। पिछले दिनों भारत में Liberal Islamic Scholar का एक बहुत बड़ा समारोह हुआ। दुनिया के कई देश के  Islamic Scholar आए। सूफी परम्‍परा से जुड़े हुए थे। उन्‍होंने एक स्‍वर से कहा कि आतंकवादी जो इस्‍लाम की बात करते हैं वो इस्‍लाम नहीं है, ये तो un-Islamic बात करते हैं। जितनी बड़ी मात्रा में इस प्रकार का स्‍वर उठेगा, उतनी तेजी से जो नौजवानों का radicalization हो रहा है उनको बचाया जा सकता है। सिर्फ बम, बंदूक और पिस्‍तौल से आतंकवाद को समाप्‍त नहीं कर सकते हैं।

हमें समाज में एक माहौल पैदा करना पड़ेगा। ये देश का दुर्भाग्‍य देखिए, दुनिया का दुर्भाग्‍य देखिए, मानवता का दुर्भाग्‍य देखिए, United Nation युद्ध क्‍या होता है, युद्ध में किसने क्‍या करना चाहिए, युद्ध से क्‍या संकट होते हैं, युद्ध को रोकने के क्‍या तरीके होते हैं, UN के पास जाइए सब चीज लिखी पड़ी मिलेगी। लेकिन आतंकवाद के लिए पूछो तो अभी UN को भी पता नहीं है कि क्‍या आतंकवाद होता है और कैसे वहां पहुंचा जाए और कैसे निकला जाए। क्‍योंकि उनका जन्‍म युद्ध की भयानकता में से पैदा हुआ और इसलिए युद्ध के दायरे के बाहर सोच नहीं पा रहे हैं। ये नए युग की नई चुनौती है, मानवता को चुनौती है उसको आंकने में भी विश्‍व में विश्‍व का इतना बड़ा संगठन अपना दायित्‍व निभा नहीं पा रहा है।

भारत ने सालों से United Nation से आग्रह किया है कि आप एक resolution पारित कीजिए जिसमे define कीजिए कौन आतंकवादी है, कौन आतंकवादी देश है, कौन आतंकवादियों को मदद करते हैं, कौन आतंवादियों का समर्थन करते हैं, कौन सी बातें हैं जो आतंकवाद को बढ़ावा देती हैं। एक बार Black and White में आज जाएगा तो लोग उससे जुड़ने से डरना शुरू कर जाएंगे, हटने का प्रयास करेंगे। मैं नहीं जानता हूं United Nation कब करेगा, कैसे करेगा लेकिन जिस प्रकार के हालत बन रहे हैं, अगर इन समस्‍याओं का समाधान कोई नहीं करेगा तो उस संस्‍था में भी irrelevant होते हुए देर नहीं लगेगी। अगर समय के साथ चलना है, चुनौतियों को समझना है और 21वीं सदी को सुख, शांति और चैन की जिंदगी जीने के लिए तैयार करना है तो विश्‍व के नेतृत्‍व को भी जिम्‍मेवारियां उठानी पड़ेंगी और जितनी देर करेंगे उतना नुकसान ज्‍यादा होने वाला है।
आज में दिनभर यहां के नेताओं से मिला, EU के नेताओं से मिला। विस्‍तार से कई विषयों पर चर्चा हुई। लेकिन हर बात का centre point आतंकवाद रहा। आतंकवाद ने ‍कितना झकझोर दिया है, ये में सब नेताओं से आज मिल रहा था तो मैं अनुभव कर रहा था। और वो फिर मुझे धीरे से कहते थे आप लोग तो 40 साल से झेल रहे हैं, काफी अनुभव है आपका।

आज पूरा विश्‍व आर्थिक संकटों से भी गुजर रहा है। दुनिया के अच्‍छे से अच्‍छे देशों की Economy आज हिल चुकी है। ऐसे समय सारी दुनिया एक स्‍वर से कहती है, चाहे World Bank हों,  IMF हो, Credit rating agencies हों, हर कोई एक स्‍वर से कह रहे हैं कि दुनिया में अगर आज कोई आशा की किरण है, कोई light of hope है तो वो, वो, वो, सारी दुनिया एक स्‍वर से कह रही है उस देश का नाम हिन्‍दुस्‍तान है। भारत आज विश्‍व में जो बड़ी Economies हैं, उसमें सबसे तेज गति से बढ़ने वाली एक Economy के रूप में आज उसने दुनिया में अपनी जगह बना ली है। और ये नसीब के कारण नहीं हुआ है, मोदी के कारण भी नहीं हुआ है, ये सवा सौ करोड़ हिन्‍दुस्‍तानियों के कारण हुआ है। दुनिया भर में फैले हुए हिन्‍दुस्‍तानियों के कारण हुआ है। वरना जो देश दो मौसम, दो वर्ष लगातार बारिश कम हुई, सूखा पड़ा और उतना कम था तो बीच-बीच में ओले पड़े, ईश्‍वर ने भरपूर कसौटी की है। लेकिन उसके बावजूद भी भारत तेज गति से आर्थिक विकास कर रहा है। अगर दिशा सही हो, नीतियां स्‍पष्‍ट हों और इससे भी बढ़ करके नीयत साफ हो तो भारत जैसे देश को कोई रोक नहीं सकता है, भारत आगे बढ़ सेता है।

कभी-कभार बहुत सी चीजें हैं जो शायद आपको टीवी पर देखने को न मिलती हों, अखबार में पढ़ने के लिए न मिलती हों। कभी-कभार Narendra Modi App पर दिखाई देती हों या social media में दिखाई देती हों, लेकिन अभी मैं आपको बताना चाहता हूं, आपको पता चलेगा कि कैसे बदलाव आ रहा है। चीजें इतनी हैं कि मुझे कागज की मदद लेनी पड़ेगी। वैसे मैं थोड़ा कम, मैं सिर्फ 2015 का हिसाब दे रहा हूं आप लोगों को। और मैं मानता हूं लोकतंत्र में जनता-जनार्दन को हिसाब देना ही मेरा दायित्‍व है और मैं आने-आपको प्रधानमंत्री नहीं, प्रधान सेवक मानता हूं। तो आपके सेवक के नाते मेरा दायित्‍व बनता है कि मैं आपको हिसाब दूं। हमारे देश में sugarcane (गन्‍ना), गन्‍ना किसानों का 25 हजार करोड़, 30 हजार करोड़ रुपया बकाया रहना ये आम बात है, मिल वाले कहते हैं कि चीनी बिकीं नहीं, वो उसको पैसे देते नहीं। अब बताइए 25-30 हजार करोड़ रुपया किसान कर बाकी रहेगा तो जाएगा कहां? इस बार दुनिया में चीनी के दाम गिर गए, चीनी का उत्‍पादन बहुत हो गया। भारत से चीनी बाहर जा नहीं रही थी, भारत में दाम बढ़ नहीं रहे थे, गन्‍ना किसानों का क्‍या होगा? हमने एक निर्णय किया कि हम Ethanol बनाएंगे। और हमने नियम compulsory किया कि हमारे Petroleum के अंदर 5 percent Ethanol compulsory mix करना होगा। 2015 में सबसे ज्‍यादा हिन्‍दुस्‍तान में Ethanol की पैदावार हुई।

हमारे देश में, मैं जब प्रधानमंत्री बना तो मुझे मुख्‍यमंत्रियों की ‍चिट्ठियां आती थीं, तो मुख्‍यमंत्री की चिट्टी स्‍वाभाविक है मुझे खुद को पढ़ना होता है। और चिट्ठी में एक ही विषय होता था कि मोदी जी यूरिया की बड़ी कमी है, यूरिया fertilizer यूरिया भी। हर मुख्‍यमंत्री ये ही चिट्ठी लिखता था। कभी खबर आती थी कि यूरिया खरीदने के लिए रात-रात किसान बेचारे दुकान के बाहर queue लगा के खड़े हैं। कभी खबर आती थी कि किसानों पर लाठी चार्ज हुआ, यूरिया लेने के लिए गए थे लाठी चार्ज हो गया। अभी मुझे हमारे कुछ MP मिले, बोले साहब पहली बार ऐसा हुआ है कि यूरिया के लिए कोई लाठी चार्ज नहीं हुआ। इस वर्ष मुझे 2015 में एक भी मुख्‍यमंत्री ने चिट्ठी नहीं लिखी कि यूरिया नहीं मिला है। देश आजाद होने के बाद सबसे ज्‍यादा यूरिया का उत्‍पादन 2015 में हुआ और संकटों से हमने बाहर निकाला।

हमारे देश में अमीरों की सरकारें जब होती हैं तो अमीरों को गैस सिलिंडर मिलना और पहले तो एक जमाना ऐसा था कि गैस सिलिंडर लेना है तो MP के यहां लोग जाते थे कि साहब जरा सिफारिश करो न एक गैस सिलिंडर मिल जाए। 2015 में, एक वर्ष में गरीबों को सबसे ज्‍यादा  Gas Cylinder का Connection देने का काम इस सरकार ने किया। हमारे देश के एक प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्‍त्री ने एक बार देश के नागरिकों से अपील की थी कि अनाज की कमी है, हम लोग एक टाईम खाना छोड़ देंगे, और यहां कई पुराने लोग बैठे होंगे, पूरा हिन्‍दुस्‍तान सप्‍ताह में एक दिन खाना नहीं खाता था अनाज बचाने के लिए। लाल बहादुर शास्‍त्री के शब्‍द की वो ताकत थी। मैं तो छोटा व्‍यक्त्‍िा हूं, कहां लाल बहादुर शास्‍त्री और कहां एक चाय बेचने वाला। लेकिन मैंने देश के सामने एक request की, जो सम्‍पन्‍न लोग हैं उन लोगों ने Gas Cylinder  की Subsidy नहीं लेनी चाहिए। उन्‍होंने surrender करना चाहिए। एक सिलिंडर पर ढाई सौ रुपये, असल में क्‍या रखा है छोड़ दो। आपको जान करके खुशी होगी मेरा इतनी से बात, और वो भी मैंने कोई बहुत बड़ा campaign नहीं किया था, ऐसे ही बातों-बातों में बता दिया था। हिन्‍दुस्‍तान में नब्‍बे लाख लोग ऐसे निकले जिन्‍होंने अपनी Gas Subsidy  छोड़ दी। जब मैं कहता हूं ना देश प्रगति कर रहा है, उसका कारण सवा सौ करोड़ देशवासी हैं ये उसका उदाहरण है। नब्‍बे लाख लोगों ने अपनी Gas Subsidy Surrender कर दी। और नब्‍बे लाख लोगों ने, उसमें कोई बहुत बड़े अमीर लोगों की बात नहीं कर रहा हूं मैं, सामान्‍य, retired teacher उसको लगा मोदी जी ने कहा है मुझे छोड़ देना चाहिए। और हमने कहा अगर आप छोड़ते हो मैं उस गरीब मां को एक Gas Cylinder दूंगा जो मां लकड़ी के चूल्‍हे जला करके धुंए में रोटी पकाती है, बच्‍चों को खिलाती है।

वैज्ञानिकों को कहना है कि एक मां चूल्‍हे में लकड़ी जला करके अगर खाना पकाती है तो एक दिन में 400 सिगरेट जितना धुंआ उसके शरीर में जाता है, Four Hundred Cigarettes, आप कल्‍पना कर सकते हैं कि उस मां की तबियत का क्‍या हाल होता होगा  और उस घर में छोटे-छोटे बच्‍चे उस धुंए के अंदर कैसे गुजारा करतें होंगे। इसी एक बात ने मुझे बड़ा पीड़ा दी और मैंने तय किया कि गरीबों के घर में गैस का सिलिुंडर क्‍यों न हो। और उसका परिणाम है कि गत एक वर्ष में आजादी के बाद सबसे ज्‍यादा गरीबों को गैस सिलिंडर दिए। इस बार बजट में हमने एक संकल्‍प घोषित किया है कि आने वाले तीन वर्ष में पांच करोड़ गरीबी की रेखा के नीचे जीने वाले परिवार जिनके घर में लकड़ी का चूल्‍हा है, उनको गैस सिलिंडर का connection दिया जाएगा और पहला connection का खर्चा सरकार भुगतेगी और धुंए में से उन माताओं को बाहर निकाला जाएगा।

2015 में सबसे ज्‍यादा कोयले का उत्‍पादन हुआ। मैं जो सबसे ज्‍यादा बोल रहा हूं ना, इसलिए लिख करके रखो कि आजादी के बाद सबसे ज्‍यादा बोल रहा हूं। पहले खबर आती थी कोयले में इतने हाथ काले हुए। पता है ना क्‍या आता था?  पता है ना? कोयले के कारोबार का मालूम है ना क्‍या आता था? इस बार सबसे ज्‍यादा कोयले का उत्‍पादन 2015 में हुआ। 2015 में सबसे ज्‍यादा बिजली का उत्‍पादन हुआ। 2015 में हिन्‍दुस्‍तान के बंदरों पर जो Goods आया, सामान आया, वो सबसे ज्‍यादा सामान बदंरगाहों पर उस माल की ढुलाई हुई, सबसे ज्‍यादा। मतलब व्‍यापार बढ़ा होगा, तब माल आया हुआ गया होगा। 2015 में, पहले हमारे यहां बंदरगाह पर Steamer आता था तो तीन दिन, चार दिन तक उसको इंतजार करना पड़ता था क्‍योंकि किनारे पर बैठे हुए लोगों को जब तक खुश नहीं करता था, आपको तो मालूम है ना कि जब हिन्‍दुस्‍तान जाते हो तो खुश कैसे करते हो? तीन दिन, चार दिन, पांच दिन, सप्‍ताह, Steamer अंदर खड़ा है, किनारे पर आता नहीं, माल उतरता नहीं, कितना खर्चा होता था। गत वर्ष कम से कम समय में बंदरगाह पर Steamer आने और जाने में समय कम से कम लगा। सारी बिचौलिए पद्धतियां बंद हो गईं, Steamer आता था, माल उतरता था, दूसरा माल भरता था Steamer चल पड़ता था, किस प्रकार से बदलाव आ रहा है देश में।

2015 में देश में सबसे ज्‍यादा दूध का उत्‍पादन हुआ, मतलब पशु भी सुखी हुए होंगे, गाय, भैंस, बकरियां भी तो खुश हुई होंगी। हम Vote Bank की राजनीति नहीं करते हैं, जो Vote नहीं देते हैं उनका भी भला करते हैं।
आजादी के बाद एक वर्ष में Railway Infrastructure में सबसे ज्‍यादा Investment हुआ।  क्‍योंकि मेरा मत है कि हिन्‍दुस्‍तान में रेलवे, ये सिर्फ यातायात का साधन नहीं है। हिन्‍दुस्‍तान में रेलवे हमारी आर्थिक गतिविधि की रीढ़ है, Spine है। अगर उसको बल दिया जाए, उसका expansion किया जाए, उसको Modernise किया जाए तो देश में बहुत बड़ा बदलाव लाया जा सकता है और उसको ले करके हम काम कर रहे हैं।
2015 में Highways राजमार्ग सबसे ज्‍यादा एक साल में ज्‍यादा से ज्‍यादा किलोमीटर के Contract अगर दिए गए, 2015 में दिए गए।

2015 में गाय-भैंस से दूध तो ज्‍यादा दिया ही दिया, लेकिन 2015 में सबसे ज्‍यादा कार का भी उत्‍पादन हुआ। गाडि़यां, Motor Vehicles, सबसे ज्‍यादा हिन्‍दुस्‍तान में 2015 में उसका manufacturing हुआ।
Software IT, यहां होंगे काफी। 2015 में सबसे ज्‍यादा Software Export हुआ भारत से। Ease of doing business भारत में कुछ नियम, कुछ आदतें, कुछ तरीके, उसके कारण दुनिया में ये जो Ease of doing business के ranking आते हैं, उसमें हम बहुत पीछे रह गए हैं। एक साल के भीतर-भीतर उसमें सुधार लाए और 12 अंक हमारी परिस्थति में सुधार हो गया। ये पहली बार हुआ है और आने वाले दिनों में और ज्‍यादा आपको नजर आएगा।

देश आजाद होने के बाद 2015 में विदेशी मुद्रा सबसे ज्‍यादा Foreign Reserve  2015 में हुआ। देश में बैंकों का राष्‍ट्रीय करण हुआ था 1980 के कालखंड में और ये कह करके हुआ था, श्रीमती इन्दिरा गांधी जी थीं, ये कह करके हुआ था कि ये बैंकों पर गरीबों का अधिकार होना चाहिए और इसलिए बैंकों का राष्‍ट्रीयकरण होना चाहिए। आजादी के 60 साल बाद भी हिन्‍दुस्‍तान के 40 प्रतिशत लोग ऐसे थे जिन्‍होंने बैंक के दरवाजे देखे तक नहीं थे। वो कल्‍पना नहीं कर सकता था कि बैंक के दरवाजे उसके लिए भी खुल सकते हैं। हमने आते ही एक अभियान चलाया कि गरीब से गरीब व्‍यक्ति भी अर्थव्‍यवस्‍था की जो मुख्‍य धारा है बैंकिंग, उससे जुड़ना चाहिए, और आज मुझे खुशी है करीब-करीब सभी नागरिक आज बैंक व्‍यवस्‍था से, प्रधानमंत्री जन-धन account से जुड़ गए। 21 करोड़ नए Bank account खुले, 21 करोड़। आप कल्‍पना कर सकते हैं कि कितना बड़ा काम हुआ होगा। और हमने ये करना था तो हमने एक नियम बनाया था कि Zero Balance से भी Bank account खुलेगा, नहीं तो शायद आम बैंक का नियम होता है 50 रुपये, 100 रुपये रखोगे तभी Bank account खुलता है,क्‍योंकि स्‍टेशनरी का भी तो खर्चा होता है। हमने कहा नहीं गरीब हैं Zero amount से खोला जाएगा। आप लोगों ने कल्‍पना नहीं की होगी मैंने इस योजना के तहत एक बहुत बड़ी चीज देखी और वो है गरीबों की अमीरी। अमीरों की गरीबी तो बहुत बार नजर आती है लेकिन गरीबों की अमीरी की तरफ नजर बहुत कम जाती है। सरकार ने कहा था Zero amount से Bank Balance Zero होगा तो भी Account खुलेगा लेकिन मेरे देश के गरीबों की ताकत देखिए कि उन्‍होंने यह सोचा, नहीं-नहीं भाई मुफ्त में कैसे ले सकते हैं, हमारे देश का गरीब ये सोचता है। और उसका परिणाम ये आया Thirty four thousand crore rupees  चौंतीस हजार करोड़ रुपया इन गरीबों ने बैंक में जमा करवाया। बैंक से ले करके भाग लेने वाले एक है और बैंक में रखने वाले दूसरे हैं। अमीरों की गरीबी क्‍या होती है और गरीबों की अमीरी क्‍या होती है ये साफ नजर आता है दोस्‍तो।

हमने, हमारे देश में एक बा‍त तो, भ्रष्‍टाचार को ले करके तो सभी लोग पीडि़त हैं। व्‍यापारी लोग कहते हैं जरा practical होना चाहिए और practical का मतलब क्‍या होता हे, ये ही होता है। क्‍या corruption खत्‍म नहीं हो सकता है। मैं आज विश्‍वास से कहता हूं कि हो सकता है। थोड़ा सा, थोड़ा सा बदलाव लाना पड़ता है। भारत में ये जो गैस सिलिंडर जाते हैं घरों में, एक-एक सिलिंडर पर 250-300 रुपया Subsidy दी जाती है और करीब 18-19 करोड़ गैस सिलिंडर जाते थे हर वर्ष और उतनी Subsidy जाती थी। हमने JAM योजना बनाई है, जे ए एन, जन धन आधार मोबाइल। बैंक में जन-धन एकाउंट, आधार Unique Identity Card और एम मोबाइल।  हमने जो Gas Subsidy जाती थी उसको आधार कार्ड से जोड़ दिया और दूसरा किया कि हम एक गैस सिलिंडर बेचने वालों को Subsidy नहीं देंगे। जो गैस लेता है उसके खाते में सीधी Subsidy जमा करेंगे। बाजार में जा करके उसको जो दाम देना है देगा लेकिन उसकी Subsidy उसके खाते में जाएगी। इसका परिणाम ये आया कि पहले जो सरकारी खजाने से Subsidy जाती थी उसमें से करीब तीन-चार करोड़ लोग पता ही नहीं चला कि वो पैदा हुए थे कि नहीं पैदा हुए थे, लेकिन Subsidy जाती थी। आपको जान करके हैरानी होगी करीब-करीब 14-15 हजार करोड़ रुपये की चोरी बड़े आराम से हो रही थी, बंद हो गई, और एक बार की नहीं, हर वर्ष होता था इतना। इतने सालों में कितना गया होगा, आप मुझे बताइए मोदी ऐसा करेगा तो मोदी को परेशानी होगी कि नहीं होगी? इसके कारण कुछ लोग होंगे न जिनका नुकसान हुआ होगा? वो चुप बैठेंगे क्‍या? और इतना खाया होगा तो उनकी चिल्‍लाने की ताकत भी तो ज्‍यादा होगी। इसलिए वो चारों तरफ बोल रहे हैं, मोदी बेकार है, मोदी बेकार है, कुछ नहीं करता, मोदी कुछ नहीं करता ये सुनने को मिलेगा। बहुत स्‍वाभाविक है कि सालों से इस प्रकार की मलाई खाने वाले लोग हैं उनकी जरा हालत बहुत खस्‍ता है।

मैंने यूरिया का बताया कि यूरिया उत्‍पादन तो ज्‍यादा हुआ ही हुआ, लेकिन हमारे देश में किसानों को यूरिया में बहुत Subsidy दी जाती है। साल की करीब 80 हजार करोड़ रुपया किसानों को यूरिया Subsidy में जाता है। लेकिन ये यूरिया खेत में पहुंचता है क्‍या? यूरिया chemical factory के लिए raw material होता है। अब उनको Subsidy वाला सस्‍ते में यूरिया मिले तो उसकी जो chemical product है वो सस्‍ते में तैयार होगी तो उसको मुनाफा ज्‍यादा होगा और इसलिए उनकी सांठगांठ रहती थी। कारखाने से यूरिया निकलता था खेत में जाने के लिए लेकिन जाता था chemical के कारखाने में और सरकार की Subsidy जाती थी। हमने एक काम किया, हमने यूरिया का नीम coating किया। हमारे यहां जो नीम के पेड़ होते हैं, उसकी जो फली होती है, उसका oil निकाल करके यूरिया पर उसका coating किया। इसके कारण यूरिया में extra nutritional value हो गई और वो जमीन के लिए बड़ा फायदा देने वाली हो गई। अगर routine में 10 Kg यूरिया इस्‍तेमाल करते हैं लेकिन नीम coating वाला है तो 7 Kg  से चल जाता है जमीन का भी भला होता है। लेकिन उसका दूसरा सबसे बड़ा फायदा ये है कि नीम coating वाला यूरिया इसके सिवाय किसी काम नहीं आ सकता है। और परिणाम ये हुआ ये जो यूरिया chemical फैक्‍टरियों में जाता था वो बंद हो गया, वो किसान के खेत में जाने लग गया और परिणाम ये आएगा, अभी उसका हिसाब निकल रहा है, हजारों करोड़ रुपये की चोरी बंद हो जाएगी। और आप सुन लीजिए अगर मोदी के खिलाफ जोर से कोई आवाज आई है तो समझ लेना कि मोदी कहीं चाबी टाईट की है। ये मान के चलना। आवाज जितनी जोर से आ जाए मेरे खिलाफ तो समझ लेना कि दाल में कुछ ...., कभी-कभी तो पूरी दाल काली नजर आती है। कहने का तात्‍पर्य ये है कि इन चीजों को बदला भी जा सकता है और परिणाम लाया भी जा सकता है।

हमारे देश में एक आदत ऐसी है कि बड़ा योजना घोषित करो, एयरकंडीशनर हॉल में दीया जलाओ, टीवी-अखबार में आ जाए तो आपका जय-जयकार चलता है, बहुत अच्‍छा काम आएगा, कोई नीचे देखता ही नहीं क्‍या हुआ। मैंने हिसाब लगाया एक बार, मैंने कहा कि भई देश आजादी को 60 साल से भी ज्‍यादा समय हो गया, 70 साल हो जाएंगे अगली साल। कितने गांव ऐसे हैं जो अभी भी 18वीं शताब्‍दी में जी रहे हैं। Eighteen Century में जीने वाले गांव कितने हैं, जहां पर अभी तक बिजली का एक खंभा भी नहीं पहुंचा है। मैंने हिसाब लगाया तो करीब 18,000 गांव ऐसे मिले कि जहां अभी बिजली का खंभा 21वीं सदी में पहुंचा नहीं है। मुझे बताइए सुन करके आपको दुख होता है नहीं होता है?  60 साल देश की आजादी, 70 साल होने जा रहे हैं क्‍या इतना काम नहीं करना चाहिए था क्‍या? होता है, देखेंगे। अब वहां से कहां आवाज आएगी? हमने तय किया ये काम करना है। मैंने अफसरों की मीटिंग बुलाई, मैंने पूछा बताओ भई कैसे करोगे? तो बोले साहब कर तो देंगे। मैंने बोला भई कितना समय लगेगा? बोले सात साल लगेंगे। तो कठिन है ये बात ठीक है बड़ी मुश्किल में है। मैंने कहा भई ये सात, कुछ कम हो सकता है क्‍या? तो उनको लगा जरा प्रधानमंत्री को खुश करने के लिए कुछ तो कहना पड़ेगा। उन्‍होंने कहा साहब 6 साल में कर देंगे। खैर सुन लिया मैंने, मैं भी क्‍या करता, काम तो उन्‍हीं से लेना है। लेकिन 15 अगस्‍त को लाल किले से मैंने बोल दिया कि 1000 दिन में 18,000 गांव में हम बिजली पहुंचा देंगे। वो काम शुरू हुआ, अब तक करीब सात महीने हुए हैं, 250 दिन भी नहीं हुए हैं। आज मैं बड़े संतोष के साथ कह सकता हूं कि 18,000 गांव में से 7,000 से ज्‍यादा गांवों में बिजली का खंभा पहुंच गया, बिजली का तार पहुंच गया, बिजली का signal है। आप में से भी किसी का interest हो तो G A R V गर्व, इस पर आप अगर वेबसाईट पर जाओगे तो पूरी detail App पर है। G A R V App है उस App पर पूरी  detail है, कितने गांव है जहां बिजली नहीं है, किसको जिम्‍मेवारी दी है, आज किस गांव में खंभा पहुंचा, आज किस गांव में गड्ढा खोदा, आज किस गांव में खंभा खड़ा हुआ, किस गांव में तार पहुंचा, कहां बिजली चालू हुई, Minute to Minute हिसाब आपके मोबाइल फोन पर available है। आप इस App को, App को देख सकते हो। इतनी transparency के साथ और इसके कारण अफसरों को भी लगा कि भई अब तो काम करना पड़ेगा, और कहीं कोई गलती करता है तो हम सामने से कहते हैं कोई गलत जानकारी है तो हमें बताओ। मैं समझता हूं कि ऐसी accountability ऐसी transparency लाई जा सकती है और लाने में हम सफल हो रहे हैं।

कहने का तात्‍पर्य ये है, आप विचार करिए हमारे देश में बालिकाएं स्‍कूल क्‍यों छोड़ देती हैं? तो हमने जरा सर्वे किया कि बच्चियां पढ़ती क्‍यों नहीं हैं गांव में। तीसरी-चौथी कक्षा में आई छोड़ देती हैं। उसका एक कारण ये ध्‍यान में आया कि स्‍कूल में बच्चियों के लिए अलग नहीं toilet है। इस एक कारण वो बच्‍ची तीन-चार कक्षा में आती है, संकोच होने लगता है, स्‍कूल छोड़ देती है। हमने अभियान चलाया toilet बनाना। सवा चार लाख स्‍कूलों में toilet बनाने का काम पूरा कर दिया बच्चियों के लिए। आज कोई स्‍कूल ऐसी सरकारी नहीं बची जहां toilet न हो।
मेरा कहने का तात्‍पर्य ये है कि एक-एक विषय को ले करके पूरी ताकत से उनको जोड़ करके परिणाम प्राप्‍त करने की दिशा में हम प्रयास करते रहते हैं और उसका नतीजा ये है कि आज विकास तेज गति से हो रहा है। Per day पहले अगर रोड एक दिन में दो किलोमीटर बनते थे average तो आज हम उसको 20-22 किलोमीटर पर ले गए हैं Per day। कहां दो-तीन किलोमीटर और कहां 20-22 किलोमीटर। रेल की पटरियां, रेल का meter gauge से broad gauge बनाना, रेल का electrification, डीजल इंजन से electricity पर ले जाना, बहुत तेजी से काम चल रहा है।

आज पूरी दुनिया Global warming को ले करके परेशान है। हमने तय किया भारत renewable energy की दिशा में जाएगा Solar Energy की दिशा में जाएगा। Hundred Seventy Five Gigawatt Renewable Energy का हमने लक्ष्‍य रखा है। भारत में ज्‍यादा से ज्‍यादा Megawatt क्‍या है वो हम लोग समझते थे। हम Megawatt तक चलते थे बस। पहली बार देश ने Hundred Seventy Five Gigawatt का लक्ष्‍य तय किया, पूरी दुनिया को आश्‍चर्य हुआ क्‍या भारत ये कर सकता है? और आज मैं बड़े संतोष के साथ कहता हूं कि ठीक Time table से काम चल रहा है और भारत इसको achieve करके रहेगा। Solar Energy में, Solar Energy में बहुत बड़ा काम आज सरकार के द्वारा हो रहा है।हमारे देश के सेना के जवान पिछले 40 साल से one rank one pension की मांग कर रहे थे, OROP.  निवृत्‍त सेना के जवान उसके लिए मांग कर रहे थे, यहां भी शायद कोई निवृत्‍त फौजी बैठे होंगे, लेकिन सरकार वादे करती रहती थी और कभी 200 करोड़ रुपया बजट में डालना और कहना कि हम OROP लाएंगे। OROP लाना है तो कम से कम हर साल 10 हजार करोड़ रुपया लगता है। पहले की सरकारों ने वादे करते रहे। देश के लिए जीने-मरने वाले सेना के जवानों के लिए ये ही चलता रहा। हम आए और आज मुझे बड़े संतोष के साथ कहता हूं कि मां भारती के लिए जीने-मरने के लिए निकले हुए जवानों का OROP का सवाल हमने पूर्ण कर दिया और OROP देना शुरू कर दिया। इस बार अभी दो महीने पहले जब उनके Bank Account में पैसे गए तो उनके लिए कोई खुशी का यानि कल्‍पना नहीं कर सकते, धमाधम चैक आना शुरू हो जाए तो उसके जीवन में कितना बड़ा आनंद हुआ होगा। देश के फौज के लिए जीने-मरने, देश के लिए जीने-मरने वाले लोग, उनको जीवन में कितना संतोष हुआ होगा, हां देश मेरी चिंता कर रहा है, मेरे परिवार की चिंता कर रहा है, इस काम हो हमने पूरा कर दिया।

बंगलादेश, कभी-कभी लगता है कि पड़ौसी देशों के साथ समस्‍याओं का समाधान हो सकता है क्‍या? भारत-पाकिस्‍तान का विभाजन हुआ, आज जहां बंगलादेश है वहां पूर्वी पाकिस्‍तान था। एक जमीन का विवाद तब से चल रहा था। 71 में बंगलादेश अलग बन गया तब भी ये सवाल चलता रहा। एक विवाद था पानी के बंटवारे का, समुद्र का पानी, कहां उनकी सरहद होती है कहां हमारी होती है और तीसरा था सीमा का। आपको जान करके खुशी होगी हमारी सरकार आने के बाद किसी भी प्रकार की गोली चले बिना, किसी भी प्रकार का संघर्ष हुए बिना बंगलादेश के साथ बैठ करके सीमा का विवाद समाप्‍त हो गया। भारत में जिनको आना था वो भारत में आ गए, जिनको बंगलादेश जाना था वो बंगलादेश हो गए, सीमा तय हो गई, अब वहां fencing लग जाएगी, घुसपैठ की जो बीमारी है वो भी बंद हो जाएगी और दोनों देश सुख-चैन से जिंदगी गुजारेंगे।

पानी का विवाद था वो भी निपट गया। दुनिया के सामने हमने एक मिसाल रखी है कि पड़ौसी देशों के साथ बातचीत से मसले solve किए जा सकते हैं। कुछ पड़ौसी है जिनको बात‍गले नहीं उतरती। अब पड़ोसी कैसे बदलेंगे, लेकिन उनको भी समझ आएगा, कभी न कभी समझ आएगा। कहने का मेरा तात्‍पर्य ये है भाईयो कि अनेक ऐसे काम जो इस सरकार ने विकास की दिशा में एक के बाद एक कदम उठाए उसका परिणाम ये आया है कि देश बहुत तेज गति से आगे बढ़ रहा है।

मैं जब यहां आ रहा था तो मैंने मेरी एक Narendra Modi App है, आप मोबाइल फोन पर download कर सकते हैं और मैं हमेशा आपकी सेवा में मौजूद रहता हूं। तो लोग मुझे कुछ न कुछ लिखा करते हैं, अपने सुझाव भेजते हैं। मुझे यहां आने से पहले आपके ब्रसेल्‍स से, Antwerp से कुछ लोगों ने मुझे सुझाव भेजे हैं। कोई रोहित अरोड़ा है, कोई चंदा कोरगांवकर है, कोई कांता ओडिडो है, कोई प्रकाश अडवाणी है, कोई सुशांत गुप्‍ता है, और सब लोगों ने मुझे भारत और बेलिज्‍यम और यूरोप के संबंधों को कैसे मजबूत बनाया जाए इसके विषय में मुझे सुझाव लिख करके भेजे हैं। कुछ लिखने वाले छोटे बच्‍चे भी होंगे, उस प्रकार का भी लिखा है कुछ बच्‍चों ने। लेकिन मैं इसे पढ़ता हूं, ये मुझे बड़ी ऊर्जा देता है, ये जो मेरे साथ जो संपर्क बनाए रखते हैं। कोई डॉक्‍टर सचिन और डॉक्‍टर रुता, उन्‍होंने Indian Community और खासतौर से बच्‍चों में भारतीय संस्‍कृति की समझ कैसे पड़े और भारतीय परिवारों के रोजमर्रा के जीवन में भारतीय जीवनशैली कैसे आए इस बारे में अपने प्रयासों के बारे में लिखा है। अब बताइए परिवार उनका, बच्‍चे उनके और संस्‍कार का contract मुझे दे रहे हैं। लेकिन मैं खुश हूं, मैं उनका आभारी हूं कि दोनों डॉक्‍टर होने के बाद भी उनका इरादा है कि बच्‍चे भारतीय परम्‍परा में पलें-बढ़ें यहां की परम्‍परा में न पलें-बढ़े, ये खुशी की बात है। कोई सुभाष नांबयार है, उनकी सात साल की बेटी मीनाक्षी नांबयार, उसने बड़ी मजेदार बात लिखी है, उसने लिखा है कि मेरे पास जो पैसे जमा होते हैं वो सारे पैसे मैं हिन्‍दुस्‍तान में किसी गरीब बच्‍चों की पढ़ाई के लिए दे देना चाहती हूं। मैं मीनाक्षी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। उसने मुझे मेरे App पर ये लिखा है कि मेरे पास जो कुछ भी पैसे कोई मिलते है कभी-कभी त्‍योहार पर वो मैं गरीब बच्‍चों की पढ़ाई पर खर्च करना चाहती हूं। खैर, Narendra Modi App के माध्‍यम से मुझे देश और दुनिया के हर छोटे-मोटे से संपर्क रहता है, आप भी मुझसे संपर्क बनाए रखिए, उसमें सरकार के कामों की भी बहुत सारी जानकारियां रहती हैं, वो जानकारियां शायद आपको काम आ जाएं।
जो non residential के पास अगर पेन कार्ड नंबर नहीं है तो उनको higher rate TDS लि‍या जाता है। अभी हम लोगों ने इस बजट में NRI के लि‍ए कोई भी alternative document होगा तो भी उसको higher rate TDS की झंझट से मुक्‍ति‍मि‍ल जाएगी। अब पोर्ट और एयरपोर्ट पर single window system शुरू हो जाएगा। International passengers के लि‍ए custom baggage’s rules और अधि‍क सरल बना दि‍ए जाएंगे। अभी जो free baggage’s की जो limit है उसको थोड़ा बढाएंगे। कुछ ले आइए न देश में।

हम लोगों ने FDI में कुछ reforms कि‍ए हैं।  कोई NRI की कंपनी या उसका ट्रस्‍ट अगर भारत में FDI नि‍वेश करता है, investment करता है तो उसको जैसे कोई हि‍न्दुस्‍तान के अंदर हि‍न्‍दुस्‍तान का नागरि‍क जि‍स नीति‍नि‍यमों से investment करता है, वैसे ही सारे लाभ NRI को भी दि‍ए जाएंगे। अब तक उसमें अंतर था। उसमें और कठि‍नाइयां रहती थी अब हमने उनको नि‍काल दि‍या है।

सरकार ने food processing में भी 100% FDI को open up कर दि‍या है। E-commerce, चाय-कॉफी के plantation हो, construction sector हो, उसमें भी Foreign direct investment के लि‍ए हमने काफी सुधार कि‍ए है। बाकी तो कई बातें हैं जो हम ‘मदद’ नाम का एक पोर्टल चलता है। कि‍सी भी NRI को कोई तकलीफ हो तो आप ‘मदद’ पोर्टल पर जाकर के तुरंत अपनी बात बता सकते हो।

आज वि‍श्‍व भर में पहली बार वि‍श्‍व वि‍भाग के साथ, भारत की foreign embassies के साथ भारतीयों का नाता एक अलग बनता जा रहा है। एक-दूसरे को मदद का माहौल बनता जा रहा है। यह अपने आप में एक सुखद परि‍णाम है। छोटे-मोटे बहुत परि‍वर्तन लाने का प्रयास कि‍या है। आप लोग इतनी बड़ी संख्‍या में आए। आपने जो प्‍यार दि‍या मैं उसके लि‍ए बहुत आभारी हूं लेकि‍न हम जहां भी हो हम यह कोशि‍श करे कि‍हम भारत के एक सच्‍चे लोकदूत है।

दुनि‍या की कि‍सी भी भाषा का कोई भी व्‍यक्‍ति‍क्‍यों न हो, उसके दि‍ल-दि‍माग में भारत की गौरव-गाथा, भारत का इति‍हास, संस्‍कृति‍, परंपरा, टूरि‍ज्‍म, उसमें हम जि‍तना कर सकते हैं, करने की कोशिश करें। भारत में टूरि‍ज्‍म के लि‍ए बहुत संभावनाएं हैं। यह हमारी कोशि‍श रहनी चाहि‍ए कि‍वि‍श्‍व के लोग भारत को देखने के लि‍ए आतुर हो। भारत में रोजगार की संभावनाओं के अनेक क्षेत्र हैं, उसमें एक क्षेत्र टूरि‍ज्‍म हैं। भारत दुनि‍या का सबसे नौजवान देश है। 65 प्रति‍शत लोग 35 से नीचे की उम्र के है। जि‍स देश के पास ऐसी जवानी हो, वो देश हर सपनों को पूरा करने का सामर्थ्‍य रखता है। उसी एक वि‍श्‍वास के साथ मैं आपको एक वि‍श्‍वास दि‍लाना चाहता हूं, देश नई ऊंचाइयों को पार करता रहेगा, देश पूरी ताकत से आगे बढ़ता चला जाएगा और भारत जि‍न सपनों को लेकर के नि‍कला है उन सपनों को पूरा करेगा, यह मेरा पक्‍का वि‍श्‍वास है।

मैं फि‍र एक बार आप सबका बहुत-बहुत आभारी हूं। बहुत-बहुत धन्‍यवाद। Thank you.

Ref:  http://www.narendramodi.in/category/speeches

Wednesday, 30 March 2016

A combination of Belgian capacities & India’s economic growth can produce promising opportunities for both sides: PM

Your Excellency Prime Minister Charles Michel, 
Ladies and Gentlemen.

Thank you for your remarks.

Last week has been a sad week for Belgium. Let me say Mr. Prime Minister that we share the depth of sorrow and grief that the people of Belgium have experienced in the last 8 days. My deepest condolences to the families of those who lost their loved ones to the terror strikes in Brussels last week. Having experienced terrorist violence ourselves on countless occasions, we share your pain. Mr. Prime Minister, in this time of crisis, the whole of India stands in full support and solidarity with the Belgian people. I deeply appreciate your welcome and the time that you have devoted to me despite pressing demands on you. As part of our efforts to respond to this common challenge we could resume discussions on a Mutual Legal Assistance Treaty. Negotiations on Extradition Treaty and a Treaty on Exchange of Sentenced Prisoners could be concluded expeditiously .
Friends,

Our two countries share a long history of friendship. A hundred years ago, more than 130,000 soldiers from India fought in the First World War alongside your countrymen on Belgian soil. More than 9,000 Indian soldiers made the supreme sacrifice. Next year will mark the 70th anniversary of India-Belgium diplomatic ties. To celebrate this important milestone in our friendship, we look forward to welcoming His Majesty King Philippe of Belgium in India next year. We would also be commemorating it with a joint programme of activities in each others’ countries. My conversation with Prime Minister Charles Michel today covered the whole spectrum of our ties. A system of bilateral foreign policy consultations would recommend concrete ways to upgrade our partnership.

Friends,

India is one of the brightest economic opportunities in the world today. Our macroeconomic fundamentals are robust , and at 7% plus, we are one of the fastest growing economies of the world. I believe that a combination of Belgian capacities and India’s economic growth can produce promising opportunities for businesses on both sides. Prime Minister and I have just held a productive interaction with Belgian CEOs and business persons earlier today. I invite the Belgian government and companies to pro-actively associate with India's ambitious development projects including Digital India, Start Up India and Skill India. Belgian businesses can make their global supply chains more cost effective by manufacturing in India. India's goal to modernize infrastructure, especially railways and ports, and building of 100 plus smart cities also presents a unique investment opportunity for the Belgian companies. These partnerships can help us reach new heights in our trade and commercial partnership. I have invited Prime Minister Michel to visit India with Belgian businesses to see first-hand the reality of India's economic and political promise. Clearly, it is not just diamonds that can bring shine to our partnership. Climate change is one of the greatest challenges before mankind. Prime Minister and I have agreed to enhance our cooperation in renewable energy. We would also build partnerships in areas such as harnessing waste for energy, small wind turbines and zero emission buildings. Advancement in S&T and High technology areas is of particular importance for India's development priorities. We welcome Belgium’s collaboration in these areas. Prime Minister Michel and I have just activated , remotely, India’s largest optical telescope. This product of Indo-Belgian collaboration is an inspiring example of what our partnership can achieve. The work is also afoot on other agreements in the areas of Information and Communication Technology, audio-visual production Tourism biotechnology and shipping and ports.
Friends,

In a couple of hours from now, I would meet the E.U. leadership for the 13th India-E.U. Summit. For India, E.U. is one of our strongest strategic partners. Trade, Investment, and technology partnership between India and the E.U. would be one of the focus areas of our discussions. I feel that a progressive path and creative mind-set to India-E.U Trade and Investment Agreement can enable all the European countries, including Belgium, to benefit from India’s strong economic growth. I once again express my sincere gratitude to Prime Minister Charles Michel for his time, welcome and hospitality. I look forward to welcoming him in India.

Thank you.

Ref: http://www.narendramodi.in/category/speeches

Tuesday, 29 March 2016

Prime Minister’s statement prior to his departure to Belgium, USA and Saudi Arabia

Following is the text of the Prime Minister, Shri Narendra Modi’s departure statement prior to his visit to Belgium, USA and Saudi Arabia today:

“On 30th March, I will be in Brussels to meet with the Belgian Prime Minister Mr. Charles Michel. I would also be holding the 13th India-EU Summit with the E.U. leadership.

No words are enough to salute the resilience and spirit of the people of Belgium. We stand shoulder to shoulder with them in the wake of the horrific attacks in Brussels and share the grief of those who lost their loved ones.

Our relations with Belgium are deep rooted and have stood the test of time. Within the E.U., Belgium is India’s 2nd largest trading partner. My meeting with the Prime Minister aims to expand trade, investment and high technology partnership with this important E.U. member.

Along with Prime Minister Charles Michel, I would remote activate the India-Belgium ARIES (Aryabhatta Research Institute for Observational Sciences) Telescope.

The European Union is a vital trading partner and the biggest export destination for India. This Summit will advance our multifaceted engagement across a whole range of domains.

In Brussels, I would also be meeting with the Members of European Parliament (MEPs), Indologists, Belgian CEOs as well as a wide cross section of the Indian diaspora in Belgium. I would also interact with the Board Members of the Association of Diamond Traders in Belgium.

The same evening, I will address a Community Programme and interact with the Indian community.

After Belgium, I will be in Washington DC on 31st March to participate in the 4th Nuclear Security Summit, where several nations and global organisations would be represented.

The Summit would deliberate on the crucial issue of threat to nuclear security caused by nuclear terrorism. Leaders would discuss ways and measure through which to strengthen the global nuclear security architecture, especially to ensure that non-state actors do not get access to nuclear material.

On the sidelines of the Summit, I would meet with several world leaders to carry forward the agenda of bilateral cooperation with those nations.

I also look forward to my interaction with the scientists associated with LIGO project.

On 2nd and 3rd April, at the invitation of H.M. King Salman bin Abdulaziz Al Saud, I will be visiting Saudi Arabia.

India’s ties with Saudi Arabia are special. Robust people-to-people ties constitute a key component of our engagement. I plan to work with the Saudi leadership to expand and deepen our bilateral relations. Discussions on the regional situation would also be on the agenda.

Our economic ties are also expanding. Saudi Arabia is India’s 4th largest trading partner, and is also India’s largest crude oil supplier.

In addition to meeting with H.M. King Salman bin Abdulaziz Al Saud, I also look forward to my discussions with other important members of the Royal family.

We want the prominent Saudi businesses to partner with India’s development priorities. That would be one of the key objectives of the business event planned in Riyadh.

I will visit the Masmak Fortress, ‘L&T Workers’ Residential Complex and TCS All Women IT & ITES Center in Riyadh.”

Ref:http://www.narendramodi.in/category/speeches

Monday, 28 March 2016

India is one of the brightest spots in world economy : PM Modi at Bloomberg Economic Summit

Mr. Micklethwait,
Distinguished guests,
Ladies and gentlemen.

I am pleased to be here today to mark twenty years of Bloomberg’s presence in India. During that period, Bloomberg has provided intelligent commentary and incisive analysis of India’s economy. It has become an essential part of the finance landscape.

Apart from that, I am grateful for the valuable advice that we have received from Mr. Michael Bloomberg in the design of our Smart Cities programme. As Mayor of one of the world’s great cities, Mr. Bloomberg has personal insight into what makes a city tick. His ideas have enriched the design of our Smart Cities programme. Under this programme, we hope to create one hundred cities which will become role models for urban development throughout the country.
 
Among firms with low levels of leverage, the situation is even better. Upgrades exceed downgrades by a huge margin. The number of upgrades is 6.8 times the number of downgrades for large firms with low leverage; for medium-sized firms the ratio is 3.9; and for small firms it is 6.3. These are exceptionally robust numbers.

The only segment showing an increase in downgrades is highly leveraged large firms. The Government and Reserve Bank have taken tough action to recover dues from large corporate defaulters. Perhaps the noise from this segment has influenced media perceptions.

Moving from credit to investment, net foreign direct investment in the third quarter of the current financial year was an all-time record. But to me, more interesting is the dramatic increase in certain important sectors. In the period from October 2014 to September 2015, FDI in fertilizer was 224 million dollars compared to just one million in the period October 2013 to September 2014; in sugar, it was 125 million dollars compared to just four million dollars; in agricultural machinery, it doubled to 57 million dollars from 28 million dollars. These are sectors that are closely connected with the rural economy. I am thrilled to see that foreign investment is flowing into them.

In the year to September 2015, FDI in construction activities showed 316 per cent growth. Computer software and hardware had 285 per cent growth. FDI in the automobile industry grew 71 per cent. This is concrete evidence that the Make in India policy is having effect in employment intensive sectors.

In a difficult global environment for exports, manufacturing output has fluctuated. However, several key sub-sectors of manufacturing are growing rapidly. Motor vehicle production, which is a strong indicator of consumer purchasing power and economic activity, has grown at 7.6 per cent. The employment-intensive wearing apparel sector has grown at 8.7 per cent. Manufacturing of furniture has grown by 57 per cent, suggesting a pick-up in sales of flats and houses.

Looking towards the future, let me turn to agriculture. In the past, the emphasis has been on agricultural output, rather than on farmers’ incomes. I have set the objective of doubling farmers’ income by 2022. I have laid this out as a challenge, but it is not merely a challenge. With a good strategy, well-designed programmes, adequate resources and good governance in implementation, this target is achievable. And, as a large share of our population depends on agriculture, a doubling of farmers’ incomes will have strong benefits for other sectors of the economy.

Let me outline our strategy.

• First, we have introduced a big focus on irrigation with a large increase in budgets. We are taking a holistic approach which combines irrigation with water conservation. The aim is ‘per drop, more crop’.

• Second, we are focusing on provision of quality seeds and on efficiency of nutrient use. The provision of soil health cards enables accurate selection of inputs according to the requirements of each field. These will lower costs of production and increase net income.

• Third, a large portion of the harvest is lost before it reaches the consumer. In perishables the loss occurs in transit. In non-perishables, it happens during storage. We are reducing post-harvest losses through big investments in warehousing infrastructure and cold chain. We have greatly increased the outlay for agricultural infrastructure.

• Fourth, we are promoting value addition through food processing. As an example, in response to a call from me, Coca Cola has recently started adding fruit juice to some of its aerated drinks.

• Fifth, we are creating a national agricultural market and removing distortions. A common electronic market platform is being introduced across 585 regulated wholesale markets. We want to ensure that a higher share of the final price goes to the farmer, with less going to middlemen. The introduction of FDI in marketing of domestic food products in this budget is with the same objective.

• Sixth, we have introduced the Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana. It is a comprehensive nationwide crop insurance programme which offers farmers protection from risks beyond their control, at an affordable cost. This scheme will ensure that their incomes are protected in times of adverse weather.

• Seventh, we will increase income from ancillary activities. Partly this will be through poultry, honey bees, farm ponds and fisheries. We are also encouraging farmers to use uncultivated portions of their land, especially boundaries between fields, for growing timber and placing solar cells.

Through a combination of

• growth in production,
• more efficient input use,
• reduction in post-harvest losses,
• higher value addition,
• reduced marketing margins,
• risk mitigation
• and ancillary activities,

I am confident we will achieve the targeted doubling of farmers’ income. I am happy to note that Dr. M.S. Swaminathan, the doyen of Indian agriculture, seems to agree. He wrote to me after the budget expressing gratitude for the farmer-centric budget. He welcomed the income orientation given to farming. He went on to say, and I quote,

“On the whole, the budget has tried to be as pro-farmer as possible subject to the limitation of resources. Seeds have been sown for agricultural transformation and for attracting and retaining youth in farming. The dawn of a new era in farming is in sight.”

Let me now turn to some of the programmes and policies that underpin our growth. As I have said before, my goal is ‘Reform to Transform’: the aim of reform is to transform the lives of ordinary people. Let me start with administrative reforms and our focus on execution.

In a country like India, resources are scarce, while problems are abundant. An intelligent strategy is to optimize use of resources through efficiency in implementation. Mere announcement of policies, or so-called policies, achieves little. Even more than reformed policies, we need transformed execution. Let me illustrate. The National Food Security Act was passed in 2013 but remained without implementation in most states. In the Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Scheme, much of the expenditure was leaking out to touts, middlemen and the non-poor, though expenditure was recorded in the books.

We are now implementing the Food Security Act nationwide. We have drastically reduced leakages in the Employment Guarantee scheme and ensured that money reaches those for whom it is intended. We have focused on creating durable assets that benefit the population, rather than the touts. And instead of talking about the virtues of financial inclusion, we have actually completed the task and brought over 200 million people into the banking system.

Our record on implementation in general, and reduction in corruption in particular, is now well understood. So I will be brief. Coal, minerals and spectrum have been auctioned transparently raising large amounts. Managerial improvements have resulted in elimination of the power shortage, a record high in highway construction per day and record port through-put. We have launched a number of new programmes across various sectors. Many legacy issues have been solved. The number of stalled projects has declined. The long-closed Dabhol power plant is operational again thanks to our coordinated efforts, and is generating power, saving jobs and avoiding bad debts for the banks. Let me now turn to policy reforms. I have referred to the durable reduction in inflation since this Government took office. This is partly attributable to bold measures taken to strengthen monetary policy. Last year, we entered into a Monetary Framework Agreement with the Reserve Bank of India.

This year we have introduced in the Finance Bill, amendments to the Reserve Bank of India Act. Under these amendments, the RBI will have an inflation target and will set monetary policy through a Monetary Policy Committee. The committee will have no members from the Government. Through this reform, monetary policy will acquire an inflation focus and a level of institutional autonomy unprecedented in major emerging markets, and greater than several developed countries. Together with our adherence to the path of fiscal consolidation, this is a testimony to our strong commitment to macro-economic prudence and stability.

Another major policy reform is in the petroleum sector. Under the new Hydrocarbon Exploration Licensing Policy, there will be pricing and marketing freedom and a transparent revenue-sharing methodology. This will eliminate many layers of bureaucratic controls. For on-going projects which have not been developed, we have also given marketing and pricing freedom, subject to a transparent ceiling based on published import parity prices. For renewal of existing Production Sharing Contracts, we have introduced a transparent method involving a flat percentage increase in Government profit share. This removes discretion and uncertainty.

Parliament has passed the Real Estate Regulation Act which will go a long way in transforming the real estate market, protecting buyers and promoting honest and healthy practices. Along with the passing of this long pending bill, we have introduced tax incentives for developers and buyers of housing for the neo-middle class and the poor.

The UDAY scheme in the power sector has permanently changed the incentive structure for State Governments. Ambitious operational targets are backed by credible incentives to perform.

Under this scheme, in a phased manner, State Governments will have to take over losses of distribution companies and count them against their fiscal deficit targets. This imposes a hard budget constraint on the states. It creates a powerful incentive for states to manage the electricity sector efficiently. Already nine states accounting for over forty per cent of the total debt of distribution companies, have entered into Memoranda of Understanding with the Central Government. Another nine have agreed to do so.

You are probably aware of this government’s sweeping policy reforms in renewable energy. From an average of less than 1500 Megawatts of solar capacity addition per annum, we are moving up to 10,000 Megawatts per annum. When I announced a target of 175 Gigawatts of renewables, as a pillar of our climate change strategy, many were surprised and some were skeptical. Yet, this month the International Energy Agency has reported that a surge in renewables has already halted global growth in energy-related carbon emissions.

Parliament has recently passed a new law on inland waterways which will enable the rapid development of this efficient mode of transport. This will increase the number of navigable waterways from 5 to 106.

Foreign Direct Investment policy has been transformed by allowing investment in hitherto closed sectors like Railways and Defence, and enhancing investment limits in insurance and many other sectors. These reforms are already bearing fruit. Two new locomotive factories involving an investment of over 500 billion dollars are being built in Bihar, by GE and Alstom. In insurance, 9600 crore rupees, approximately 150 million dollars of FDI, in 12 companies, from leading global insurers has already been approved.

We have enhanced the limits for foreign investment in stock exchanges and allowed them to be listed. I am sure, you are aware, of the reforms we have undertaken to promote private equity venture capital, and an eco-system for start-ups. I note that this ‘new economy’ is the focus of your panel discussions.

Finally, let me turn to the major steps we have taken in the area of generating employment. This is one of my highest priorities. India is a capital scarce, labour abundant country. Yet, the corporate tax structure has favoured capital intensive production. Tax benefits like accelerated depreciation, and investment allowance have created an artificial bias against labour. Labour regulations have also tended to promote informal employment without social protection, rather than formal employment. We have taken two important steps to change this.

Firstly, if any firm subject to tax audit increases its work force, it will get a 30 per cent weighted tax deduction on the extra wage cost for three years. Earlier, such a benefit was available only to very few industrial employers and had so many restrictions that it was practically ineffective. It will now cover all sectors including services, for employees with a salary up to 25,000 rupees per month.

Secondly, the Government has taken the responsibility for paying pension contributions for three years for all new persons enrolling in the Employee Provident Fund. This will apply to those with wages up to 15,000 rupees per month. We expect lakhs of the unemployed, and the informally employed, to benefit from these steps.

In a reform to eliminate corruption in government recruitments, we have abolished interviews for lower and middle level positions. They will now be filled on the basis of transparent examination results.

You are aware that results of Government entrance examinations for engineering and medical colleges are being used by private colleges also. I am happy to announce one more measure to improve the labour market and benefit the unemployed. The Government and Public Sector Undertakings conduct a number of recruitment examinations. So far, the scores in these examinations have been retained by the Government. Hereafter, we will make available the results and the candidate information openly to all employers, wherever consent is given by the candidate. This will create a positive externality. It will provide a rich data base which can be used by private sector employers as a ready-made and objective sourcing and screening mechanism. It will reduce search costs in the labour market for both employers and employees. It will enable better matching of candidates from labour surplus areas with jobs in other regions.

You may be aware of the spectacular progress of the Pradhan Mantri Mudra Yojana. Over 31 million loans have been sanctioned to entrepreneurs for a total value of nearly 19 billion dollars this year. You will be pleased to know that 77 per cent of these entrepreneurs are women and 22 per cent of them are from the Scheduled Castes and Scheduled Tribes. Even if we assume conservatively that on average, each enterprise creates just one sustainable job, this initiative itself amounts to 31 million in new employment. The Stand-Up India scheme will also provide 250,000 entrepreneurship loans to women and Scheduled Castes and Scheduled Tribes.

My government’s measures on skill development are well known. In the Budget, we also announced two path-breaking reforms in the education sector, which I want to elaborate upon. Our aim is to empower higher educational institutions to help them attain the highest standards. To start with, we will provide an enabling regulatory architecture to ten public and ten private institutions, so that they emerge as world-class teaching and research institutions. Their regulatory framework will be separate from existing structures like the University Grants Commission and All India Council for Technical Education. They will have complete autonomy on academic, administrative and financial matters. We will provide additional resources for the next five years for the ten public universities. This will eventually allow ordinary Indians affordable access to world-class degree courses. This initiative is the beginning of a journey to restore the original mandate of higher education regulators.

They should be facilitators and guides, driven by norms of self-disclosure and transparency, instead of top-down command and control. Eventually, through regulatory reform, we aspire to world-class standards in all colleges and universities.

Another initiative is in school education. We have achieved much quantitative progress in access and pupil-teacher ratios. The foundation of today’s knowledge economy is the quality of its school leavers. We have now decided that the quality of learning outcomes will be the Government’s primary objective. Accordingly, we will allocate an increasing share of resources under the Sarva Shiksha Abhiyaan to quality. These funds will be used to promote local initiatives and innovations to improve learning outcomes. I am sure, all of you who are parents and all of you who are employers, will welcome these steps in higher and school education respectively.

In conclusion, Ladies and Gentlemen, we have initiated many steps. Many more lie ahead. Some have begun bearing fruit. What we have achieved so far, gives me the confidence that, with the support of the people, we can transform India.

I know it will be difficult.
But I am sure it is do-able.
And I am confident, it will be done.

Thank you.

Ref:http://www.narendramodi.in/category/speeches

Sunday, 27 March 2016

PM Modi's Mann Ki Baat: Tourism, farmers, under 17 FIFA world cup and more


मेरे प्यारे देशवासियो, आप सब को बहुत-बहुत नमस्कार! आज दुनिया भर में ईसाई समुदाय के लोग Easter मना रहे हैं। मैं सभी लोगों को Easter की ढ़ेरों शुभकामनायें देता हूँ।

मेरे युवा दोस्तो, आप सब एक तरफ़ Exam में busy होंगे। कुछ लोगों की exam पूरी हो गयी होगी। और कुछ लोगों के लिए इसलिए भी कसौटी होगी कि एक तरफ़ exam और दूसरी तरफ़ T-20 Cricket World Cup. आज भी शायद आप भारत और Australia के match का इंतज़ार करते होंगे। पिछले दिनों भारत ने पाकिस्तान और बांग्लादेश के खिलाफ़ दो बेहतरीन match जीते हैं। एक बढ़िया सा momentum नज़र आ रहा है। आज जब Australia और भारत खेलने वाले हैं, मैं दोनों टीमों के players को अपनी शुभकामनायें देता हूँ।

65 प्रतिशत जनसँख्या नौजवान हो और खेलों की दुनिया में हम खो गए हों! ये तो बात कुछ बनती नहीं है। समय है, खेलों में एक नई क्रांति का दौर का। और हम देख रहे हैं कि भारत में cricket की तरह अब Football, Hockey, Tennis, Kabaddi एक mood बनता जा रहा है। मैं आज नौजवानों को एक और खुशखबरी के साथ, कुछ अपेक्षायें भी बताना चाहता हूँ। आपको शायद इस बात का तो पता चल गया होगा कि अगले वर्ष 2017 में भारत FIFA Under - 17 विश्वकप की मेज़बानी करने जा रहा है। विश्व की 24 टीमें भारत में खेलने के लिए आ रही हैं। 1951, 1962 Asian Games में भारत ने Gold Medal जीता था और 1956 Olympic Games में भारत चौथे स्थान पर रहा था। लेकिन दुर्भाग्य से पिछले कुछ दशकों में हम निचली पायरी पर ही चलते गए, पीछे ही हटते गए, गिरते ही गए, गिरते ही गए। आज तो FIFA में हमारा ranking इतना नीचे है कि मेरी बोलने की हिम्मत भी नहीं हो रही है। और दूसरी तरफ़ मैं देख रहा हूँ कि इन दिनों भारत में युवाओं की Football में रूचि बढ़ रही है। EPL हो, Spanish League हो या Indian Super League के match हो। भारत का युवा उसके विषय में जानकारी पाने के लिए, TV पर देखने के लिए समय निकालता है। कहने का तात्पर्य यह है कि रूचि तो बढ़ रही है। लेकिन इतना बड़ा अवसर जब भारत में आ रहा है, तो हम सिर्फ़ मेज़बान बन कर के अपनी जिम्मेवारी पूरी करेंगे? इस पूरा वर्ष एक Football, Football, Football का माहौल बना दें। स्कूलों में, कॉलेजों में, हिन्दुस्तान के हर कोने पर हमारे नौजवान, हमारे स्कूलों के बालक पसीने से तर-ब-तर हों। चारो तरफ़ Football खेला जाता हो। ये अगर करेंगे तो फिर तो मेज़बानी का मज़ा आएगा और इसीलिए हम सब की कोशिश होनी चाहिये कि हम Football को गाँव-गाँव, गली-गली कैसे पहुँचाएं। 2017 FIFA Under – 17 विश्वकप एक ऐसा अवसर है इस एक साल के भीतर-भीतर हम चारों तरफ़ नौजवानों के अन्दर Football के लिए एक नया जोम भर दे, एक नया जुत्साह भर दे। इस मेज़बानी का एक फ़ायदा तो है ही है कि हमारे यहाँ Infrastructure तैयार होगा। खेल के लिए जो आवश्यक सुविधाएँ हैं उस पर ध्यान जाएगा। मुझे तो इसका आनंद तब मिलेगा जब हम हर नौजवान को Football के साथ जोड़ेंगें।

दोस्तो, मैं आप से एक अपेक्षा करता हूँ। 2017 की ये मेज़बानी, ये अवसर कैसा हो, साल भर का हमारा Football में momentum लाने के लिए कैसे-कैसे कार्यक्रम हो, प्रचार कैसे हो, व्यवस्थाओं में सुधार कैसे हो, FIFA Under – 17 विश्वकप के माध्यम से भारत के नौजवानों में खेल के प्रति रूचि कैसे बढ़े, सरकारों में, शैक्षिक संस्थाओं में, अन्य सामाजिक संगठनों में, खेल के साथ जुड़ने की स्पर्धा कैसे खड़ी हो? Cricket में हम सभी देख पा रहे हैं, लेकिन यही चीज़ और खेलों में भी लानी है। Football एक अवसर है। क्या आप मुझे अपने सुझाव दे सकते हैं? वैश्विक स्तर पर भारत का branding करने के लिए एक बहुत बड़ा अवसर मैं मानता हूँ। भारत की युवा शक्ति की पहचान कराने का अवसर मानता हूँ। Match के दरमियाँ क्या पाया, क्या खोया उस अर्थ में नहीं। इस मेज़बानी की तैयारी के द्वारा भी, हम अपनी शक्ति को सजो सकते हैं, शक्ति को प्रकट भी कर सकते हैं और हम भारत का Branding भी कर सकते हैं। क्या आप मुझे NarendraModiApp, इस पर अपने सुझाव भेज सकते हैं क्या? Logo कैसा हो, slogans कैसे हो, भारत में इस बात को फ़ैलाने के लिए क्या क्या तरीके हों, गीत कैसे हों, souvenirs बनाने हैं तो किस-किस प्रकार के souvenirs बन सकते हैं। सोचिए दोस्तो, और मैं चाहूँगा कि मेरा हर नौजवान ये 2017, FIFA, Under- 17 विश्व Cup का Ambassador बने। आप भी इसमें शरीक होइए, भारत की पहचान बनाने का सुनहरा अवसर है।

मेरे प्यारे विद्यार्थियो, छुट्टियों के दिनों में आपने पर्यटन के लिए सोचा ही होगा। बहुत कम लोग हैं जो विदेश जाते हैं लेकिन ज्यादातर लोग अपने-अपने राज्यों में 5 दिन, 7 दिन कहीं चले जाते हैं। कुछ लोग अपने राज्यों से बाहर जाते हैं। पिछली बार भी मैंने आप लोगों से एक आग्रह किया था कि आप जहाँ जाते हैं वहाँ से फोटो upload कीजिए। और मैंने देखा कि जो काम Tourism Department नहीं कर सकता, जो काम हमारा Cultural Department नहीं कर सकता, जो काम राज्य सरकारें, भारत सरकार नहीं कर सकतीं, वो काम देश के करोड़ों-करोड़ों ऐसे प्रवासियों ने कर दिया था। ऐसी-ऐसी जगहों के फोटो upload किये गए थे कि देख कर के सचमुच में आनंद होता था। इस काम को हमें आगे बढ़ाना है इस बार भी कीजिये, लेकिन इस बार उसके साथ कुछ लिखिए। सिर्फ़ फोटो नहीं! आपकी रचनात्मक जो प्रवृति है उसको प्रकट कीजिए और नई जगह पर जाने से, देखने से बहुत कुछ सीखने को मिलता है। जो चीजें हम classroom में नहीं सीख पाते, जो हम परिवार में नहीं सीख पाते, जो चीज हम यार-दोस्तों के बीच में नहीं सीख पाते, वे कभी-कभी भ्रमण करने से ज्यादा सीखने को मिलती है और नई जगहों के नयेपन का अनुभव होता है। लोग, भाषा, खान-पान वहाँ के रहन-सहन न जाने क्या-क्या देखने को मिलता है। और किसी ने कहा है - ‘A traveller without observation. is a bird without wings’ ‘शौक-ए-दीदार है अगर, तो नज़र पैदा कर’। भारत विविधताओं से भरा हुआ है। एक बार देखने के लिए निकल पड़ो जीवन भर देखते ही रहोगे, देखते ही रहोगे! कभी मन नहीं भरेगा और मैं तो भाग्यशाली हूँ मुझे बहुत भ्रमण करने का अवसर मिला है। जब मुख्यमंत्री नहीं था, प्रधानमंत्री नहीं था और आपकी ही तरह छोटी उम्र थी, मैंने बहुत भ्रमण किया। शायद हिन्दुस्तान का कोई District नहीं होगा, जहाँ मुझे जाने का अवसर न मिला हो। ज़िन्दगी को बनाने के लिए प्रवास की एक बहुत बड़ी ताकत होती है और अब भारत के युवकों में प्रवास में साहस जुड़ता चला जा रहा है। जिज्ञासा जुड़ती चली जा रही है। पहले की तरह वो रटे-रटाये, बने-बनाये उसी route पर नहीं चला जाता है, वो कुछ नया करना चाहता है, वो कुछ नया देखना चाहता है। मैं इसे एक अच्छी निशानी मानता हूँ। हमारा युवा साहसिक हो, जहाँ कभी पैर नहीं रखा है, वहाँ पैर रखने का उसका मन होना चाहिए।

मैं Coal India को एक विशेष बधाई देना चाहता हूँ। Western Coalfields Limited (WCL), नागपुर के पास एक सावनेर, जहाँ Coal Mines हैं। उस Coal Mines में उन्होंने Eco friendly Mine Tourism Circuit develop किया है। आम तौर पर हम लोगों की सोच है कि Coal Mines - यानि दूर ही रहना। वहाँ के लोगों की तस्वीरें जो हम देखते हैं तो हमें लगता है वहाँ जाने जैसा क्या होगा और हमारे यहाँ तो कहावत भी रहती है कि कोयले में हाथ काले, तो लोग यूँ ही दूर भागते हैं। लेकिन उसी कोयले को Tourism का destination बना देना और मैं खुश हूँ कि अभी-अभी तो ये शुरुआत हुई है और अब तक क़रीब दस हज़ार से ज्यादा लोगों ने नागपुर के पास सावनेर गाँव के निकट ये Eco friendly Mine Tourism की मुलाक़ात की है। ये अपने आप में कुछ नया देखने का अवसर देती है। मैं आशा करता हूँ कि इन छुट्टियों में जब प्रवास पर जाएँ तो स्वच्छता में आप कुछ योगदान दे सकते हैं क्या?

इन दिनों एक बात नज़र आ रही है, भले वो कम मात्रा में हो अभी भी आलोचना करनी है तो अवसर भी है लेकिन फिर भी अगर हम ये कहें कि एक जागरूकता आई है। Tourist places पर लोग स्वच्छता बनाये रखने का प्रयास कर रहे हैं। Tourist भी कर रहे हैं और जो tourist destination के स्थान पर स्थाई रूप से रहने वाले लोग भी कुछ न कुछ कर रहे हैं। हो सकता है बहुत वैज्ञानिक तरीक़े से नहीं हो रहा? लेकिन हो रहा है। आप भी एक tourist के नाते ‘tourist destination पर स्वच्छता’ उस पर आप बल दे सकते हैं क्या? मुझे विश्वास है मेरे नौजवान मुझे इसमें जरूर मदद करेंगे। और ये बात सही है कि tourism सबसे ज्यादा रोज़गार देने वाला क्षेत्र है। ग़रीब से ग़रीब व्यक्ति कमाता है और जब tourist, tourist destination पर जाता है। ग़रीब tourist जाएगा तो कुछ न कुछ तो लेगा। अमीर होगा तो ज्यादा खर्चा करेगा। और tourism के द्वारा बहुत रोज़गार की संभावना है। विश्व की तुलना में भारत tourism में अभी बहुत पीछे है। लेकिन हम सवा सौ करोड़ देशवासी हम तय करें कि हमें अपने tourism को बल देना है तो हम दुनिया को आकर्षित कर सकते हैं। विश्व के tourism के एक बहुत बड़े हिस्से को हमारी ओर आकर्षित कर सकते हैं और हमारे देश के करोड़ो-करोड़ों नौजवानों को रोज़गार के अवसर उपलब्ध करा सकते हैं। सरकार हो, संस्थाएँ हों, समाज हो, नागरिक हो हम सब ने मिल करके ये करने का काम है। आइये हम उस दिशा में कुछ करने का प्रयास करें।

मेरे युवा दोस्तो, छुट्टियाँ ऐसे ही आ कर चला जाएं, ये बात मुझे अच्छी नहीं लगती। आप भी इस दिशा में सोचिए। क्या आपकी छुट्टियाँ, ज़िन्दगी के महत्वपूर्ण वर्ष और उसका भी महत्वपूर्ण समय ऐसे ही जाने दोगे क्या? मैं आपको सोचने के लिए एक विचार रखता हूँ। क्या आप छुट्टियों में एक हुनर, अपने व्यक्तित्व में एक नई चीज़ जोड़ने का संकल्प, ये कर सकते हैं क्या? अगर आपको तैरना नहीं आता है, तो छुट्टियों मे संकल्प कर सकते हैं, मैं तैरना सीख लूँ, साईकिल चलाना नही आता है तो छुट्टियों मे तय कर लूँ मैं साईकिल चलाऊंI आज भी मैं दो उंगली से कंप्यूटर को टाइप करता हूँ, तो क्या मैं टाइपिंग सीख लूँ? हमारे व्यक्तित्व के विकास के लिए कितने प्रकार के कौशल है? क्यों ना उसको सीखें? क्यों न हमारी कुछ कमियों को दूर करें? क्यों न हम अपनी शक्तियों में इजाफ़ा करेंI अब सोचिए और कोई उसमें बहुत बड़े classes चाहिए कोई trainer चाहिए, बहुत बड़ी fees चाहिए, बड़ा budget चाहिए ऐसा नहीं है। आप अपने अगल-बगल में भी मान लीजिये आप तय करें कि मैं waste में से best बनाऊंगा। कुछ देखिये और उसमे से बनाना शुरू कर दीजिये। देखिये आप को आनंद आयेगा शाम होते-होते देखिये ये कूड़े-कचरे में से आपने क्या बना दिया। आप को painting का शौक है, आता नही है, अरे तो शुरू कर दीजिये ना, आ जायेगा। आप अपनी छुट्टियों का समय अपने व्यक्तित्व के विकास के लिए, अपने पास कोई एक नए हुनर के लिए, अपने कौशल-विकास के लिए अवश्य करें और अनगिनत क्षेत्र हो सकते हैं जरुरी नहीं है, कि मैं जो गिना रहा हूँ वही क्षेत्र हो सकते है। और आपके व्यक्तित्व की पहचान उससे और उससे आप का आत्मविश्वास इतना बढ़ेगा इतना बढ़ेगा। एक बार देख लीजिये जब छुट्टियों के बाद स्कूल में वापिस जाओगे, कॉलेज मे वापिस जाओगे और अपने साथियों को कहोगे कि भाई मैंने तो छुट्टीयों मे ये सीख लिया और अगर उसने नहीं सिखा होगा, तो वो सोचेगा कि यार मेरा तो बर्बाद हो गया तुम बड़े पक्के हो यार कुछ करके आ गए। ये अपने साथियों मे शायद बात होगी। मुझे विश्वास है कि आप ज़रूर करेंगे। और मुझे बताइए कि आप ने क्या सीखा। बतायेंगे ना!। इस बार ‘मन की बात’ में My-gov पर कई सुझाव आये हैं।

‘मेरा नाम अभि चतुर्वेदी है। नमस्ते प्रधानमंत्री जी, आपने पिछले गर्मियों की छुट्टियों में बोला कि चिड़ियों को भी गर्मी लगती है, तो हमने एक बर्तन में पानी में रखकर अपनी बालकोनी में या छत पर रख देना चाहिये, जिससे चिड़िया आकर पानी पी लें। मैंने ये काम किया और मेरे को आनंद आया, इसी बहाने मेरी बहुत सारी चिड़ियों से दोस्ती हो गयी। मैं आपसे विनती करता हूँ कि आप इस कार्य को वापस ‘मन की बात’ में दोहराएँ।’

मेरे प्यारे देशवासियो, मैं अभि चतुर्वेदी का आभारी हूँ इस बालक ने मुझे याद कराया वैसे मैं भूल गया था। और मेरे मन में नहीं था कि आज मैं इस विषय पर कुछ कहूँगा लेकिन उस अभि ने मुझे याद करवाया कि पिछले वर्ष मैंने पक्षियों के लिए घर के बाहर मिट्टी के बर्तन में। मेरे प्यारे देशवासियो मैं अभि चतुर्वेदी एक बालक का आभार व्यक्त करना चाहता हूँ। उसने मुझे फोन करके एक अच्छा काम याद करवा दिया। पिछली बार तो मुझे याद था। और मैंने कहा था कि गर्मियों के दिनों मे पक्षियों के लिए अपने घर के बाहर मिट्टी के बर्तनों मे पानी रखे। अभि ने मुझे बताया कि वो साल भर से इस काम को कर रहा है। और उसकी कई चिड़िया उसकी दोस्त बन गई है। हिन्दी की महान कवि महादेवी वर्मा वो पक्षियों को बहुत प्यार करती थीं। उन्होंने अपनी कविता में लिखा था - तुझको दूर न जाने देंगे, दानों से आंगन भर देंगे और होद में भर देंगे हम मीठा-मीठा ठंडा पानी। आइये महादेवी जी की इस बात को हम भी करें। मैं अभि को अभिनन्दन भी देता हूँ और आभार भी व्यक्त करता हूँ कि तुमने मुझको बहुत महत्वपूर्ण बात याद कराई।

मैसूर से शिल्पा कूके, उन्होंने एक बड़ा संवेदनशील मुद्दा हम सब के लिए रखा है। उन्होंने कहा है कि हमारे घर के पास दूध बेचने वाले आते हैं, अख़बार बेचने वाले आते हैं, Postman आते हैं। कभी कोई बर्तन बेचने वाले वहाँ से गुजरते हैं, कपड़े बेचने वाले गुजरते हैं। क्या कभी हमने उनको गर्मियों के दिनों मे पानी के लिए पूछा है क्या? क्या कभी हमने उसको पानी offer किया है क्या? शिल्पा मैं आप का बहुत आभारी हूँ आपने बहुत संवेदनशील विषय को बड़े सामान्य सरल तरीके से रख दिया। ये बात सही है बात छोटी होती है लेकिन गर्मी के बीच अगर postman घर के पास आया और हमने पानी पिलाया कितना अच्छा लगेगा उसको। खैर भारत में तो ये स्वाभाव है ही है। लेकिन शिल्पा मैं आभारी हूँ कि तुमने इन चीज़ों को observe किया।

मेरे प्यारे किसान भाइयो और बहनो, Digital India – Digital India आपने बहुत सुना होगा। कुछ लोगों को लगता है कि Digital India तो शहर के नौजवानों की दुनिया है। जी नही, आपको खुशी होगी कि एक “किसान सुविधा App” आप सब की सेवा में प्रस्तुत किया है। ये “किसान सुविधा App” के माध्यम से अगर आप उसको अपने Mobile-Phone में download करते हैं तो आपको कृषि सम्बन्धी, weather सम्बन्धी बहुत सारी जानकारियाँ अपनी हथेली में ही मिल जाएगी। बाज़ार का हाल क्या है, मंडियों में क्या स्थिति है, इन दिनों अच्छी फसल का क्या दौर चल रहा है, दवाइयां कौन-सी उपयुक्त होती हैं? कई विषय उस पर है। इतना ही नहीं इसमें एक बटन ऐसा है कि जो सीधा-सीधा आपको कृषि वैज्ञानिकों के साथ जोड़ देता है, expert के साथ जोड़ देता है। अगर आप अपना कोई सवाल उसके सामने रखोगे तो वो जवाब देता है, समझाता है, आपको। मैं आशा करता हूँ कि मेरे किसान भाई-बहन इस “किसान सुविधा App” को अपने Mobile-Phone पर download करें। try तो कीजिए उसमें से आपके काम कुछ आता है क्या? और फिर भी कुछ कमी महसूस होती है तो आप मुझे शिकायत भी कर दीजिये।

मेरे किसान भाइयो और बहनों, बाकियों के लिए तो गर्मी छुट्टियों के लिए अवसर रहा है। लेकिन किसान के लिए तो और भी पसीना बहाने का अवसर बन जाता है। वो वर्षा का इंतजार करता है और इंतजार के पहले किसान अपने खेत को तैयार करने के लिए जी-जान से जुट जाता है, ताकि वो बारिश की एक बूंद भी बर्बाद नहीं होने देना चाहता है। किसान के लिए, किसानी के season शुरू होने का समय बड़ा ही महत्वपूर्ण होता है। लेकिन हम देशवासियो को भी सोचना होगा कि पानी के बिना क्या होगा? क्या ये समय हम अपने तालाब, अपने यहाँ पानी बहने के रास्ते तालाबों में पानी आने के जो मार्ग होते हैं जहाँ पर कूड़ा-कचरा या कुछ न कुछ encroachment हो जाता तो पानी आना बंद हो जाता है और उसके कारण जल-संग्रह धीरे-धीरे कम होता जा रहा है। क्या हम उन पुरानी जगहों को फिर से एक बार खुदाई करके, सफाई करके अधिक जल-संचय के लिए तैयार कर सकते हैं क्या? जितना पानी बचायेंगे तो पहली बारिश में भी अगर पानी बचा लिया, तालाब भर गए, हमारे नदी नाले भर गए तो कभी पीछे बारिश रूठ भी जाये तो हमारा नुकसान कम होता है।

इस बार आपने देखा होगा 5 लाख तालाब, खेत-तालाब बनाने का बीड़ा उठाया है। मनरेगा से भी जल-संचय के लिए assets create करने की तरफ बल दिया है। गाँव-गाँव पानी बचाओ, आने वाली बारिश में बूँद-बूँद पानी कैसे बचाएँ। गाँव का पानी गाँव में रहे, ये अभियान कैसे चलायें, आप योजना बनाइए, सरकार की योजनाओं से जुड़िए ताकि एक ऐसा जन-आंदोलन खड़ा करें, ताकि हम पानी से एक ऐसा जन-आन्दोलन खड़ा करें जिसके पानी का माहत्म्य भी समझें और पानी संचय के लिए हर कोई जुड़े। देश में कई ऐसे गाँव होंगे, कई ऐसे प्रगतिशील किसान होंगे, कई ऐसे जागरूक नागरिक होंगे जिन्होंने इस काम को किया होगा। लेकिन फिर भी अभी और ज्यादा करने की आवश्यकता है।

मेरे किसान भाइयो-बहनों, मैं एक बार आज फिर से दोहराना चाहता हूँ। क्योंकि पिछले दिनों भारत सरकार ने एक बहुत बड़ा किसान मेला लगाया था और मैंने देखा कि क्या-क्या आधुनिक technology आई है, और कितना बदलाव आया है, कृषि क्षेत्र में, लेकिन फिर भी उसे खेतों तक पहुँचाना है और अब किसान भी कहने लगा है कि भई अब तो fertilizer कम करना है। मैं इसका स्वागत करता हूँ। अधिक fertilizer के दुरुपयोग ने हमारी धरती माँ को बीमार कर दिया है और हम धरती माँ के बेटे हैं, सन्तान हैं हम अपनी धरती माँ को बीमार कैसे देख सकते हैं। अच्छे मसाले डालें तो खाना कितना बढ़िया बनता है, लेकिन अच्छे से अच्छे मसाले भी अगर ज्यादा मात्रा में दाल दें तो वो खाना खाने का मन करता है क्या? वही खाना बुरा लगता है न? ये fertilizer का भी ऐसा ही है, कितना ही उत्तम fertilizer क्यों न हो, लेकिन हद से ज्यादा fertilizer का उपयोग करेंगे तो वो बर्बादी का कारण बन जायेगा। हर चीज़ balance होनी चाहिये और इससे खर्चा भी कम होगा, पैसे आपके बचेंगे। और हमारा तो मत है - कम cost ज्यादा output, “कम लागत, ज्यादा पावत”, इसी मंत्र को ले करके चलना चाहिए और वैज्ञानिक तौर-तरीकों से हम अपने कृषि को आगे बढ़ाना चाहिए। मैं आशा करता हूँ कि जल संचय में जो भी आवश्यक काम करना पड़े, हमारे पास एक-दो महीने हैं बारिश आने तक, हम पूरे मनोयोग से इसको करें। जितना पानी बचेगा किसानी को उतना ही ज्यादा लाभ होगा, ज़िन्दगी उतनी ही ज्यादा बचेगी।

मेरे प्यारे देशवासियो, 7 अप्रैल को ‘World Health Day’ है और इस बार दुनिया ने ‘World Health Day’ को ‘beat Diabetes’ इस theme पर केन्द्रित किया है। diabetes को परास्त करिए। Diabetes एक ऐसा मेजबान है कि वो हर बीमारी की मेजबानी करने के लिए आतुर रहता है। एक बार अगर diabetes घुस गया तो उसके पीछे ढेर सारे बीमारी कुरुपी मेहमान अपने घर में, शरीर में घुस जाते हैं। कहते हैं 2014 में भारत में क़रीब साडे छः करोड़ diabetes के मरीज थे। 3 प्रतिशत मृत्यु का कारण कहते हैं कि diabetes पाया गया। और diabetes के दो प्रकार होते हैं एक Type-1, Type-2. Type- 1 में वंशगत रहता है, hereditary है, माता-पिता को है इसलिए बालक को होता है। और Type-2 आदतों के कारण, उम्र के कारण, मोटापे के कारण। हम उसको निमंत्रण देकर के बुलाते हैं। दुनिया diabetes से चिंतित है, इसलिए 7 तारीक को ‘World Health Day’ में इसको theme रखा गया है। हम सब जानते हैं कि हमारी life style उसके लिए सबसे बड़ा कारण है। शरीरिक श्रम कम हो रहा है। पसीने का नाम-ओ-निशान नहीं है, चलना-फिरना हो नहीं रहा है। खेल भी खेलेंगे तो online खेलते है, off-line कुछ नहीं हो रहा है। क्या हम, 7 तारीख से कुछ प्रेरणा ले कर के अपने निजी जीवन में diabetes को परास्त करने के लिए कुछ कर सकते है क्या? आपको योग में रूचि है तो योग कीजिए नहीं तो कम से कम दौड़ने चलने के लिए तो जाइये। अगर मेरे देश का हर नागरिक स्वस्थ होगा तो मेरा भारत भी तो स्वस्थ होगा। कभी कबार हम संकोचवश medical check-up नहीं करवाते हैं। और फिर बहुत बुरे हाल होने के बाद ध्यान में आता है कि ओह... हो... मेरा तो बहुत पुराना diabetes था। Check करने में क्या जाता है इतना तो कर लीजिये और अब तो सारी बातें उपलब्ध हैं। बहुत आसानी से हो जाती हैं। आप ज़रूर उसकी चिंता कीजिए।

24 मार्च को दुनिया ने TB Day मनाया। हम जानते है, जब मैं छोटा था तो TB का नाम सुनते ही डर जाते थे। ऐसा लगता था कि बस अब तो मौत आ गयी। लेकिन अब TB से डर नहीं लगता है। क्योंकि सबको मालूम है कि TB का उपचार हो सकता है, और असानी से हो सकता है। लेकिन जब TB और मौत जुड़ गए थे तो हम डरते थे लेकिन अब TB के प्रति हम बेपरवाह हो गए हैं। लेकिन दुनिया की तुलना में TB के मरीजों की संख्या बहुत है। TB से अगर मुक्ति पानी है तो एक तो correct treatment चाहिये और complete treatment चाहिये। सही उपचार हो और पूरा उपचार हो। बीच में से छोड़ दिया तो वो मुसीबत नई पैदा कर देता है। अच्छा TB तो एक ऐसी चीज़ है कि अड़ोस-पड़ोस के लोग भी तय कर सकते है कि अरे भई check करो देखो, TB हो गया होगा। ख़ासी आ रही है, बुखार रहता है, वज़न कम होने लगता है। तो अड़ोस-पड़ोस को भी पता चल जाता है कि देखो यार कहीं उसको TB-VB तो नहीं हुआ। इसका मतलब हुआ कि ये बीमारी ऐसी है कि जिसको जल्द जाँच की जा सकती है।

मेरे प्यारे देशवासियो, इस दिशा में बहुत काम हो रहा है। तेरह हज़ार पांच सौ से अधिक Microscopy Centre हैं। चार लाख से अधिक DOT provider हैं। अनेक advance labs हैं और सारी सेवाएँ मुफ़्त में हैं। आप एक बार जाँच तो करा लीजिए। और ये बीमारी जा सकती है। बस सही उपचार हो और बीमारी नष्ट होने तक उपचार जारी रहे। मैं आपसे आग्रह करूँगा कि चाहे TB हो या Diabetes हो हमें उसे परास्त करना है। भारत को हमें इन बीमारियों से मुक्ति दिलानी है। लेकिन ये सरकार, डॉक्टर, दवाई से नहीं होता है जब तक की आप न करें। और इसलिए मैं आज मेरे देशवासियों से आग्रह करता हूँ कि हम diabetes को परास्त करें। हम TB से मुक्ति पायें।

मेरे प्यारे देशवासियो, अप्रैल महीने में कई महत्वपूर्ण अवसर आ रहे हैं। विशेष कर 14 अप्रैल भीमराव बाबा साहिब अम्बेडकर का जन्मदिन। उनकी 125वी जयंती साल भर पूरे देश में मनाई गयी। एक पंचतीर्थ, मऊ उनका जन्म् स्थान, London में उनकी शिक्षा हुई, नागपुर में उनकी दीक्षा हुई, 26-अलीपुर रोड, दिल्ली में उनका महापरिनिर्वाण हुआ और मुंबई में जहाँ उनका अन्तिम संस्कार हुआ वो चैत्य भूमि। इन पाँचों तीर्थ के विकास के लिए हम लगातार कोशिश कर रहे हैं। मेरा सौभाग्य है कि मुझे इस वर्ष 14 अप्रैल को मुझे बाबा साहिब अम्बेडकर की जन्मस्थली मऊ जाने का सौभाग्य मिल रहा है। एक उत्तम नागरिक बनने के लिए बाबा साहिब ने हमने बहुत कुछ दिया है। उस रास्ते पर चल कर के एक उत्तम नागरिक बन कर के उनको हम बहुत बड़ी श्रधांजलि दे सकते हैं।

कुछ ही दिनों में, विक्रम संवत् की शुरुआत होगी। नया विक्रम संवत् आएगा। अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग रूप से मनाया जाता है। कोई इसे नव संवत्सर कहता है, कोई गुड़ी-पड़वा कहता है, कोई वर्ष प्रतिप्रता कहता है, कोई उगादी कहता है। लेकिन हिन्दुस्तान के क़रीब-क़रीब सभी क्षत्रों में इसका महात्म्यं है। मेरी नव वर्ष के लिए सब को बहुत-बहुत शुभकामनाएं है।

आप जानते हैं, मैं पिछली बार भी कहा था कि मेरे ‘मन की बात’ को सुनने के लिए, कभी भी सुन सकते हैं। क़रीब-क़रीब 20 भाषाओँ में सुन सकते हैं। आपके अपने समय पर सुन सकते हैं। आपके अपने मोबाइल फ़ोन पर सुन सकते हैं। बस सिर्फ आपको एक missed call करना होता है। और मुझे ख़ुशी है कि इस सेवा का लाभ अभी तो एक महीना बड़ी मुश्किल से हुआ है। लेकिन 35 लाख़ लोगों ने इसका फायदा उठाया। आप भी नंबर लिख लीजिये 81908-81908. मैं repeat करता हूँ 81908-81908. आप missed call करिए और जब भी आपकी सुविधा हो पुरानी ‘मन की बात’ भी सुनना चाहते हो तो भी सुन सकते हो, आपकी अपनी भाषा में सुन सकते हो। मुझे ख़ुशी होगी आपके साथ जुड़े रहने की।

मेरे प्यारे देशवासियो, आपको बहुत-बहुत शुभकामनायें। बहुत-बहुत धन्यवाद।

Wednesday, 23 March 2016

India-Bangladesh Power Grid Transmission Line is our gateway to the East: PM Modi


मेरी दृष्टि से यह एक ऐतिहासिक अवसर है। शायद दुनिया में बहुत कम ऐसे अवसर आते होंगे कि आधुनिक विज्ञान के माध्‍यम से दो देश के प्रधानमंत्री एक मुख्‍यमंत्री के साथ मिल करके किसी योजना का लोकार्पण करते हो| इस दृष्टि से यह एक बड़ा यह महत्‍वपूर्ण मैं अवसर मानता हूं। प्रधानमंत्री जी ने अपने अभिभाषण के माध्‍यम से उन्‍होंने इस बात को आगे बढ़ाया, हौसला बढ़ाया मैं इसके लिए आपका बहुत-बहुत धन्‍यवाद करता हूं।बंगबंधु शेख मुजिबुर रहमान जी का भारत के साथ नाता बड़ा अटूट रहा। आपने भी उन संकट के दिनों में मानवता के उस काम में भारत किस प्रकार से आपके दुख दर्द का भागीदार बना इसको हमेशा याद किया है और भारत के प्रति आभार भी व्‍यक्‍त किया है। आज भी उस भावनाओं को उसी तीव्रता के साथ आप प्रकट कर रही है।

वो दिन थे जब दुख, दर्द और पीड़ा से भरा बंगलादेश था। आज बंगलादेश ऊंचाईयों की ओर जा रहा है। तब भी हम कंधे से कंधा मिला करके आपके साथ चल रहे हैं, आप हमारे साथ चल रहे हैं। हम दोनों मिल करके दुनिया के सामने एक मिसाल रख रहे हैं कि पड़ोसियों के साथ संबंध किस प्रकार के हो सकते हैं। Inter dependent world को साकार करने के उत्‍तम से उत्‍तम मार्ग कौन से हो सकते हैं और मैं देख रहा हूं कि एक के बाद एक सहयात्रा के सहयोग के हमारे प्रयास बहुत ही उत्‍तम प्रकार के परिणाम देने का सामर्थ्‍य रखते हैं। और मैं इस अवसर को उस रूप में देखता हूं और मुझे विश्‍वास है कि ग्‍लोबल community एक छोटे से कमरों में वीडियो कैमरा के द्वारा हो रहे इस कार्यक्रम को एक वैश्विक स्‍तर पर भी इस घटना को देखेगी, ऐसा मुझे पूरा विश्‍वास है।

आज की घटना- बिजली भारत से बंगलादेश जा रही है। एक नई उर्जा, विकास की उर्जा का यह अवसर है। दूसरी तरफ हमारे पास एक ऐसा गेटवे खुल रहा है। क्‍योंकि अब तक हमारा डिजिटल वर्ल्‍ड में एंट्री के जो दो हमारे गेटवे थे, वो एक पश्चिम में था एक दक्षिण में था। लेकिन हमारा पूरब अछूता था। और मैं Act East पॉलिसी को ले करके चल रहा हूं तब मेरे लिए यह पूरब का गेटवे बहुत महत्‍वपूर्ण है। और बंगलादेश के साथ मिल करके डिजिटल वर्ल्‍ड का पूरब का गेटवे खुलना यह अपने आप में, भारत के पूर्वी इलाके में और विशेषकर असम, नॉर्थ ईस्‍ट including त्रिपुरा और सिक्किम यह हमारा जो अष्‍ट लक्ष्‍मी का प्रदेश है। वहां के नौजवानों के लिए यह एक नई चेतना जगाने वाला अवसर बनने वाला है। और आज की दुनिया communication की ताकत पर चलती है। communication की ताकत को बढ़ावा देने का यह अवसर है। और इसलिए आपने हमें जो सहयोग दिया, जो सुविधा दी उसके लिए मैं आपका आभार व्‍यकत करता हूं।
आने वाले दिनों में बिजली के संबंध में भी जो transmission लाइनें डाली जा रही है हमने पहले से ही उसकी capacity ज्यादा रखी है ताकि आने वाले दिनों में जैसी उसकी आवश्यकता पड़े और हम जितना ज्यादा आपके साथ मिलकर के ऊर्जा के क्षेत्र में काम कर सकें। हमारा निरंतर प्रयास रहेगा और मैं आज के इस अवसर पर, मैं इसको बड़ा महत्वपूर्ण मानता हूं और कुछ दिन पहले हमने Road connectivity का सफल प्रयास आगे बढ़ाया बांग्लादेश, नेपाल, भारत और भूटान। आज हम बिजली के माध्यम से एक नई ऊर्जा दे रहे हैं और हम 21 वीं सदी की महत्वपूर्ण connectivity वो digital connectivity को जोड़ रहे हैं। यानि जल हो, थल हो, नभ हो। अब बांग्लादेश और भारत जुड़ते ही चले जा रहे हैं और कंधे से कंधा मिलाकर के आगे चले जा रहे हैं और जैसा मैंने आकर के कहा था।

अब हमें Space में भी आगे साथ-साथ बढ़ना है। बंग-बंधु Satellite, भारत की दिली इच्छा है कि बंग-बंधु Satellite में भी जैसे Road में भी हम आपके साथ जुड़े हैं, जैसे जल में हम आपके साथ जुड़े हैं, जैसे Digital दुनिया में हम आपके साथ जुड़े हैं, Space में भी आपके साथ जुड़कर के आगे बढ़ना चाहते हैं। मैं फिर एक बार आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं और विशेष रूप से आज भारत होली का उत्सव मना रहा है। होली हमारे यहां एक बड़ा पवित्र त्योहार माना जाता है, बांग्लादेश में भी कुछ भू-भाग है जहां पर होली का त्योहार मनाया जाता है और होली के इस पवित्र त्योहार पर ये अवसर अपने आप में हमारे संबंधों को नए रंगों से भर देगा और एक नई ऊर्जा और नई connectivity का कारण बनेगा।
आज एक और भी महत्वपूर्ण अवसर है और आज वो महत्वपूर्ण अवसर है बांग्लादेश और भारत T-20 का मैच आज है। मैं दोनों टीमों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं और भारत और बांग्लादेश जब खेलते हैं हमारे नौजवान तो sports का जय-पराजय से ऊपर उठकर के संबंधों में sportsman spirit की ताकत पैदा होती है। जैसे बिजली नई ताकत देती है, हमारी sportsman spirit भी नई ताकत देती है। आज उसी sportsman spirit के साथ हमारी दोनों टीमें खेलें और दुनिया के अंदर sportsman spirit का नजारा दिखाएं। मेरी दोनों टीमों को बहुत-बहुत शुभकामना है। आपका भी बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं।

Ref: http://www.narendramodi.in/category/speeches

Monday, 21 March 2016

Dr. Ambedkar had united the country socially through the Constitution: PM Modi


आज मुझे Ambedkar Memorial Lecture देने के लिए अवसर मिला है। यह छठा लेक्‍चर है। लेकिन यह मेरा सौभाग्‍य कहो, या देश को सोचने का कारण कहो, मैं पहला प्रधानमंत्री हूं जो यहां बोलने के लिए आया हूं। मैं मेरे लिए इसे सौभाग्‍य मानता हूं। और इसके साथ-साथ भारत सरकार की एक योजना को साकार करने का अवसर भी मिला है कि 26-अलीपुर जहां पर बाबा साहब का परिनिर्वाण का स्‍थल है वहां एक भव्‍य प्रेरणा स्‍थली बनेगी। किसी के भी मन में सवाल आ सकता है कि जिस महापुरुष ने 1956 में हमारे बीच से विदाई ली, आज 60 साल के बाद वहां पर कोई स्‍मारक की शुरुआत हो रही है। 60 साल बीत गए, 60 साल बीत गए।

मैं नहीं जानता हूं कि इतिहास की घटना को कौन किस रूप में जवाब देगा। लेकिन हमें 60 साल इंतजार करना पड़ा। हो सकता है ये मेरे ही भाग्‍य में लिखा गया होगा। शायद बाबा साहब के मुझे पर आशीर्वाद रहे होंगे के मुझे ये सौभाग्‍य मुझे मिला।

मैं सबसे पहले भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी का हृदय से अभिनंदन करना चाहता हूं। क्‍योंकि वाजपेयी जी की सरकार ने यह निर्णय न किया होता, क्‍योंकि यह स‍ंपत्ति तो प्राइवेट चली गई थी। और जिस सदन में बाबा साहब रहते थे, वो तो पूरी तरह ध्‍वस्‍त करके नई इमारत वहां बना दी गई थी। लेकिन उसके बावजूद भी वाजपेयी जी जब सरकार में थे, प्रधानमंत्री थे, उन्‍होंने इसको acquire किया। लेकिन बाद में उनकी सरकार रही नहीं। बाकी जो आए उनके दिल में अम्‍बेडकर नहीं रहे। और उसके कारण मकान acquire करने के बाद भी कोई काम नहीं हो पाया। हमारा संकल्‍प है कि 2018 तक इस काम को पूर्ण कर दिया जाए। और अभी से मैं विभाग को भी बता देता हूं, मंत्रि श्री को भी बता देता हूं 2018, 14 अप्रैल को मैं इसका उद्घाटन करने आऊंगा। Date तय करके ही काम करना है और तभी होगा। और होगा, भव्‍य होगा ये मेरा पूरा विश्‍वास है।

इसकी जो design आपने देखी है, इसे आप भी विश्‍वास करेंगे दिल्‍ली के अंदर जो iconic buildings है, उसमें अब इस स्‍थान का नाम हो जाएगा। दुनिया के लिए वो iconic building होगा, हमारे लिए प्रेरणा स्‍थली है, हमें अविरत प्रेरणा देने वाली स्‍थली है, और इसलिए आने वाली पीढि़यों में जिस-जिसको मानवता की दृष्टि से मानवता के प्रति commitment के लिए कार्य करने की प्रेरणा पानी होगी तो इससे बढ़ करके प्रेरणा स्‍थली क्‍या हो सकती है।

कभी-कभार मेरी एक शिकायत रहती है और यह शिकायत मैं कई बार बोल चुका हूं लेकिन हर बार मुझे दोहराने का मन करता है। कभी हम लोग बाबा साहब को बहुत अन्‍याय कर देते हैं जी। उनको दलितों का मसीहा बना करके तो घोर अन्‍याय करते है। बाबा साहब को ऐसे सीमित न करें। वे अमानवीय, हर घटना के खिलाफ आवाज़ उठाने वाले महापुरूष थे। हर पीढ़ी, शोषित, कुचले, दबे, उनकी वो एक प्रखर आवाज़ थे। उनको भारत की सीमाओं में बांधना भी ठीक है। उनको ‘विश्‍व मानव’ के रूप में हमने देखना चाहिए। दुनिया जिस रूप से मार्टिन लूथर किंग को देखती है, हम बाबा अम्‍बेडकर साहब को उससे जरा भी कम नहीं देख सकते। अगर विश्‍व के दबे-कुचले लोगों की आवाज़ मार्टिन लूथर किंग बन सकते हैं, तो आज विश्‍व के दबे कुचले लोगों की आवाज़ बाबा साहब अम्‍बेडकर बन सकते हैं। और इसलिए मानवता में जिस-जिस का विश्‍वास है उन सबके लिए ये बहुत आवश्‍यक है कि बाबा साहेब मानवीय मूल्‍यों के रखवाले थे।

और हमें संविधान में जो कुछ मिला है, वो जाति विशेष के कारण नहीं मिला है। अन्‍याय की परंपराओं को नष्‍ट करने का एक उत्‍तम प्रयास के रूप में हुआ है। कभी इतिहास के झरोखे से मैं देखूं तो मैं दो महापुरूषों को विशेष रूप से देखना चाहूंगा, एक सरदार वल्‍लभ भाई पटेल और दूसरे बाबा साहब अम्‍बेडकर।

देश जब आजाद हुआ तब, अनेक राजे-रजवाड़ों में यह देश बिखरा पड़ा था। राजनैतिक दृष्टि से बिखराव था व्‍यवस्‍थाओं में बिखराव था, शासन तंत्र बिखरे हुए थे और अंग्रेजों का इरादा था कि यह देश बिखर जाए। हर राजा-रजवाड़े अपना सिर ऊचां कर करके, यह देश को जो हालत में छोड़े, छोड़े, लेकिन सरदार वल्‍लभ भाई पटेल थे, जिन्‍होंने राष्‍ट्र की एकता के लिए सभी राजे-रजवाड़ों को अपने कूटनीति के द्वारा, अपने कौश्‍लय के द्वारा, अपने political wheel के द्वारा और बहुत ही कम समय में इस काम को उन्‍होंने करके दिखाया। और आज से तो हिमाचल कश्‍मीर से कन्‍या कुमारी एक भव्‍य भारत माता का निर्माण सरदार वल्‍लभ भाई पटेल के माध्‍यम से हम देख पा रहे हैं। तो एक तरफ राजनैतिक बिखराव था, तो दूसरी तरफ सामाजिक बिखराव था। हमारे यहां ऊंच-नीच का भाव, जातिवाद का जहर, दलित, पीडि़त, शोषित, वंचित, आदिवासी इन सबके प्रति उपेक्षा का भाव और सदियों से यह बीमारी हमारे बीच घर कर गई थी। कई महापुरूष आए उन्‍होंने सुधार के लिए प्रयास किया। महात्‍मा गांधी ने किया, कई, यानि कोई शताब्‍दी ऐसी नहीं होगी कि हिंदु समाज की बुराईयों को नष्‍ट करने के लिए प्रयास न हुआ हो।

लेकिन बाबा साहब अम्‍बेडकर ने राजनीतिक-संवैधानिक व्‍यव्‍स्‍था के माध्‍यम से सामाजिक एकीकरण का बीड़ा उठाया, जो काम राजनीतिक एकीकरण का सरदार पटेल ने किया था, वो काम सामाजिक एकीकरण का बाबा साहब अम्‍बेडकर जी के द्वारा हुआ।

और इसलिए ये जो सपना बाबा साहेब ने देखा हुआ है उस सपने की पूर्ति का प्रयास उसमें कहीं कोताही नहीं बरतनी चाहिए। उसमें कोई ढीलापन नहीं आना चाहिए। कभी-कभार बाबा साहेब के विषय में जब हम सोचते हैं, हम में से बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि बाबा साहेब को मंत्रिपरिषद से इस्‍तीफा देने की नौबत क्‍यों आई। या तो हमारे देश में इतिहास को दबोच दिया जाता है, या तो हमारे देश में इतिहास को dilute किया जाता है या divert कर दिया जाता है, अपने-अपने तरीके से होता है। Hindu code bill बाबा साहेब की अध्‍यक्षता में काम चल रहा था और उस समय प्रारंभ में शासन के सभी मुखिया वगैरह सब इस बात में साथ दे रहे थे। लेकिन जब Hindu Code Bill Parliament में आने की नौबत आई और महिलाओं को उसमें अधिकार देने का विषय जो था, संपत्ति में अधिकार, परिवार में अधिकार, महिलाओं को equal right देने की व्‍यवस्‍था थी उसमें क्‍योंकि बाबा साहेब अम्‍बेडकर किसी को भी वंचित, पीडि़त, शोषित देख ही नहीं सकते थे। और ये सिर्फ दलितों के लिए नहीं था, टाटा, बिरला परिवार की महिलाओं के लिए भी था और दलित बेटी के लिए भी था। ये बाबा साहेब का vision देखिए। लेकिन, लेकिन उस समय की सरकार इस progressive बातों के सामने जब आवाज उठी, तो टिक नहीं पाई, सरकार दब गई कि भारत में ऐसा कैसे हो सकता है कि महिलाओं को संपत्ति का अधिकार देंगे वो तो बहू बनके कहीं चली जाती हैं! तो फिर पता नहीं क्‍या हो जाएगा? समाज में कैसे बिखराव, ये सारे डर पैदा हुए, पचासों प्रकार के लोगों ने अपना डर व्‍यक्‍त किया। ऐसे समय बाबा साहेब को लगा, अगर भारत की नारी को हक नहीं मिलता है, तो फिर उस सरकार का बाबा साहेब हिस्‍सा भी नहीं बन सकते और उन्‍होंने सरकार छोड़ दी थी। और जो बातें बाबा साहेब ने सोची थीं, वो बाद में समय बदलता गया, लोगों की सोच में भी थोड़ा सुधार आता गया, धीरे-धीरे करके कभी एक चीज सरकार ने मान ली, कभी दो मान लीं, कभी एक आई, कभी दो आईं। धीरे-धीरे-धीरे करके बाबा साहेब ने जितना सोचा था, वो सारा बाद में सरकार को स्‍वीकार करना पड़ा। लेकिन बहुत साल लग गए, बहुत सरकारें आ के चली गईं।

कहने का मेरा तात्‍पर्य ये है, कि अगर में दलितों के अंदर बाबा साहेब को सीमित कर दूंगा, तो इस देश की 50 प्रतिशत जनसंख्‍या माताओं, बहनों को बाबा साहेब ने इतना बड़ा हक दिया, उनका क्‍या होगा? और इसलिए ये आवश्‍यक है कि बाबा साहेब को उनकी पूर्णता के रूप में समझें, स्‍वीकार करें।

Labour Laws, हमारे देश में महिलाओं को कोयले की खदान में काम करना बड़ा दुष्‍कर था, लेकिन कानून रोकता नहीं था। और ये काम इतना कठिन था कि महिलाओं से नहीं करवाया जा सकता। ये बाबा साहेब अम्‍बेडकर ने हिम्‍मत दिखाई और महिलाओं को कोयले की खदानों के कामों से मुक्‍त कराने का बहुत बड़ा निर्णय बाबा अम्‍बेडकर ने किया था।

हमारे देश में मजदूरी, सिर्फ दलित ही मजदूर थे ऐसा नहीं, जो भी मजदूर थे, बाबा साहेब उन सबके मसीहा थे। और इसलिए 12 घंटा, 14 घंटा मजदूर काम करता रहता था, मालिक काम लेता रहता था और मजदूर को भी नहीं लगता था कि मेरा भी कोई जीवन हो सकता है, मेरे भी कोई मानवीय हक हो सकते हैं, उस बेचारे को मालूम तक नहीं था। और न ही कोई बाबा साहेब अम्‍बेडकर को memorandum देने आया था कि हमने इतना काम लिया जाता है कुछ हमारा करो। ये बाबा साहेब की आत्‍मा की पुकार थी कि उन्‍होंने 12 घंटे, 14 घंटे काम हो रहा था, 8 घंटे सीमित किया। आज भी हिन्‍दुस्‍तान में जो labour laws है, उसकी अगर मुख्‍य कोई foundation है, वो foundation के रचियता बाबा साहेब अम्‍बेडकर थे।

आप हिन्‍दुस्‍तान के 50 प्रमुख नेताओं को ले लीजिए, जिनको देश के निर्णय करने की प्रकिया में हिस्‍सा लेने का अवसर मिला है, वो कौन से निर्णय है, जिन निर्णयों ने हिन्‍दुस्‍तान को एक शताब्‍दी तक प्रभावित किया। पूरी 20वीं शताब्‍दी में जो विचार, जो निर्णय, देश पर प्रभावी रहे, जो आज 21वीं सदी के प्रारंभ में भी उतनी ही ताकत से काम कर रहे हैं। अगर आप किस-किस के कितने निर्णय, इसका अगर खाका बनाओगे, तो मैं मानता हूं कि बाबा साहेब अम्‍बेडकर नम्‍बर एक पर रहेंगे, कि जिनके द्वारा सोची गई बातें, जिनके द्वारा किए गए निर्णय आज भी relevant हैं।

आप देख लीजिए power generation, electricity, आज हम देख रहे हैं कि हिन्‍दुस्‍तान में ऊर्जा की दिशा में जो काम हुआ है, उसका अगर कोई structured व्‍यवस्‍था बनी तो बाबा साहेब के द्वारा बनी थी। और उसी का नतीजा था कि Electric Board वगैरा, electricity generation के लिए अलग व्‍यवस्‍थाएं खडी़ हुईं जो आगे चल करके देश में विस्‍तार होता गया, और भारत में ऊर्जा की दिशा में self-sufficient बनने के लिए भारत में घर-घर ऊर्जा पहुंचाने की दिशा में उस सोच का परिणाम था, कि उन्‍होंने एक structured व्‍यवस्‍था देश को दी।

आपने देखा होगा, अभी–अभी Parliament में एक bill हम लोग लाए। जब हम ये bill लाए तो लोगों को लगा होगा कि वाह! मोदी सरकार ने क्‍या कमाल कर दिया। Bill क्‍या लाए हैं, हम भारत के पानी की शक्ति को समझ करके Water-ways पर महातम्‍य देना, Water-ways के द्वारा हमारे यातायात को बढाना, हमारे goods-transportation को बढ़ाना, उस दिशा में एक बड़ा महत्‍वपूर्ण निर्णय अभी इस Parliament में किया है। लेकिन कोई कृपा करके मत सोचिए कि मोदी की सोच है। यहां हमने जरूर है, सौभाग्‍य मिला है, लेकिन ये मूल विचार बाबा साहेब अम्‍बेडकर का है। बाबा साहेब अम्‍बेडकर थे जिन्‍होंने उस समय, उस समय भारत की maritime शक्ति और भारत के Water-ways की ताकत को समझा था और उस की structured व्‍यवस्‍था की थी। और उसको वहां आगे बढ़ाना चाहते थे। अगर लम्‍बे समय उनको सरकार में सेवा करने का मौका मिलता जो निर्णय मैंने अभी किया Parliament में, वो आज से 60 साल पहले हो गया होता। यानी बाबा साहेब के न होने का इस देश को कितना घाटा हुआ है, यह हमें पता चलता है और बाबा साहेब का कोई भक्‍त सरकार में आता है, तो 60 साल के बाद भी काम कैसे होता है, ये नजर आता है।

बाबा साहेब हमें क्‍या संदेश देकर गए, और मैं मानता हूं जो बीमारी का सही उपचार अगर किसी ने ढूंढा है, तो बाबा साहेब ने ढूंढा है। बीमारियों का पता बहुतों को होता है, बीमारी से मुक्ति के लिए छोटे-मोटे प्रयास करने वाले भी कुछ लोग होते हैं लेकिन एक स्‍थाई समाधान, अगर किसी ने दिया तो बाबा साहेब ने दिया, वो क्‍या? उन्‍होंने समाज को एक ही बात कही कि भाई शिक्षित बनो, शिक्षित बनो, ये सारी समस्‍याओं का समाधान शिक्षा में है। और एक बार अगर आप शिक्षित होंगे, तो दुनिया के सामने आप आंख से आंख मिला करके बात कर पाओगे, कोई आपको नीचा नहीं देख सकता, कोई आपको अछूत नहीं कह सकता। ये, ये जो Inner Power देने का प्रयास, ये Inner Power था। उन्‍होंने बाहरी ताकतें नहीं दी थीं, आपकी आंतरिक ऊर्जा को जगाने के लिए उन्‍होंने रास्‍ता दिखाया था। दूसरा मंत्र दिया, संगठित बनो और तीसरा बात बताया मानवता के पक्ष में संघर्ष करो, अमानवीय चीजों के खिलाफ आवाज उठाओ। ये तीन मंत्र आज भी हमें प्रेरणा देते रहे हैं, हमें शक्ति देते रहे हैं। और इसलिए हम जब बाबा साहेब अम्‍बेडकर की बात करते हैं त‍ब, हमारा दायित्‍व भी तो बनता है और दायित्‍व बनता है, बाबा साहेब के रास्‍ते पर चलने का। और उसकी शुरुआत आखिरी मंत्र से नहीं होती है, पहले मंत्र से होती है। वरना कुछ लोगों को आखिरी वाला ज्‍यादा पसंद आता है, संघर्ष करो। पहले वाला मंत्र है शिक्षित बनो, दूसरे वाला मंत्र है संगठित बनो। आखिर में जरूरत ही नहीं पड़ेगी, वो नौबत ही नहीं आयेगी। क्‍योंकि अपने आप में इतनी बड़ी ताकत होगी कि दुनिया को स्‍वीकार करना होगा। और बाबा साहेब ने जो कहा, वो जी करके दिखाया था। वरना वे भी शिक्षा छोड़ सकते थे, तकलीफें उनको भी आई थीं, मुसीबतें उनको भी आई थीं, अपमान उनको भी झेलने पड़े थे। और मुझे खुशी हुई अभी हमारे बिहार के गवर्नर एक delegation लेकर बड़ौदा गए थे और बड़ौदा जा करके सहजराव परिवार को उन्‍होंने सम्‍मानित किया। इस बात के लिए सम्‍मानित किया कि यह सहजराव गायकवाड़ थे, जिसको सबसे पहले इस हीरे की पहचान हुई थी। और इस हीरे को मुकुटमणि में जड़ने का काम अगर किसी ने सबसे पहले किया था तो सहजराव गायकवाड़ ने किया था। और तभी तो भारत को सहजराव गायकवाड़ की एक भेंट है कि हमें बाबा साहेब अम्‍बेडकर मिले। और इसलिए धन्‍यवाद प्रस्‍ताव करने के लिए सहजराव गायकवाड़ के परिवार के पास जा करके काफी समाज के लोग गए थे, और उनका सम्‍मान किया, परिवार का। वरना उस समय एक peon भी बाबा साहेब को हाथ से पानी देने के लिए तैयार नहीं था। वो नीचे रखता था, फिर बाबा साहेब उठाते थे। ऐसे माहौल में गायकडवाड़ जी ने बाबा अम्‍बेडकर साहेब को गले लगा लिया था। ये हमारे देश की विशेषता है। इन विशेषताओं को भी हमें पहचानना होगा। और इन विशेषताओं के आधार पर हमने आगे की हमारी जीवन विकास की यात्रा को आगे बढ़ाना होगा।

कभी-कभार हमारे देश में बाबा साहेब अम्‍बेडकर ने जिस भावना से जिन कामों को किया, वो पूर्णतया पवित्र राष्‍ट्र निष्‍ठा थी, समाज निष्‍ठा थी। राज निष्‍ठा की प्रेरणा से बाबा साहेब अम्‍बेडकर ने कभी कोई काम नहीं किया। राष्‍ट्र निष्‍ठा और समाज निष्‍ठा से किया और इसलिए हमने भी हमारी हर सोच हमारे हर निर्णय को इस तराजू से तौलने का बाबा अम्‍बेडकर साहब ने हमें रास्‍ता दिखाया है कि राष्‍ट्र निष्‍ठा के तराजू से तोला जाए, समाज निष्‍ठा के तराजू से तोला जाए, और तब जा करके वो हमारा निर्णय, हमारी दिशा, सही सिद्ध होगी।

कुछ लोगों ने एक बात, कुछ लोगों का हमसे, हम लोग वो हैं जिनको कुछ लोग पसंद ही नहीं करते हैं। हमें देखना तक नहीं चाहते हैं। उनको बुखार आ जाता है और बुखार में आदमी कुछ भी बोल देता है। बुखार में वो मन का आपा भी खो देता है, और इसलिए असत्‍य, झूठ, अनाप-शनाप ऐसी बातों को प्रचारित किया जाता है। मैं आज जब, जिन लोगों ने 60 साल तक कोई काम नहीं किया, उस 26-अलीपुर के गौरव के लिए आज यहां खड़ा हूँ तब, मुझे बोलने का हक भी बनता है।

मुझे बराबर याद है, जब वाजपेयी जी की सरकार बनी तो चारों तरफ हो-हल्‍ला मचा था अब ये भाजपा वाले आ गए हैं, अब आपका आरक्षण जाएगा। जो लोग पुराने हैं उनको याद होगा। वाजपेयी जी की सरकार के समय ऐसा तूफान चलाया, गांव-गांव, घर-घर, ऐसा माहौल बना दिया जैसे बस चला ही जाएगा। वाजपेयी जी की सरकार रही, दो-टंब रही लेकिन खरोंच तक नहीं आने दी थी। फिर भी झूठ चलाया गया।

मध्‍यप्रदेश में सालों से भारतीय जनता पार्टी राज कर रही है, गुजरात में, महाराष्‍ट्र में, पंजाब में, हरियाणा में, उत्‍तर प्रदेश में, अनेक राज्‍यों में, हम जिन विचार को लेकर के निकले है, उस विचार वालों को सरकार चलाने का अवसर मिला, दो-तिहाई बहुमत से अवसर मिला, लेकिन कभी भी दलित, पीडि़त, शोषित, tribal, उनके आरक्षण को खरोंच तक नहीं आने दी है। फिर भी झूठ चलाया जा रहा है, क्‍यों? बाबा साहेब अम्‍बेडकर ने जो राष्‍ट्र निष्‍ठा और समाज निष्‍ठा के आधार पर देश को चलाने की प्रेरणा दी थी, उससे हट करके सिर्फ राजनीति करने वाले लोग हैं, वो इससे बाहर नहीं निकल पाते हैं, इसलिए से बातों को झूठे रूप में लोगों को भ्रमित करने के लिए चला रहे हैं और इसलिए मैं, मैं जब Indu Mills के कार्यक्रम के लिए गया था, चैत्य भूमि के पुनर्निर्माण के शिलान्‍यास के लिए गया था, उस समय मैंने कहा था खुद बाबा साहेब अम्‍बकेडकर भी आ करके, आपका ये हक नहीं छीन सकते हैं। बाबा साहेब के सामने हम तो क्‍या चीज हैं, कुछ नहीं हैं जी। उस महापुरुष के सामने हम कुछ नहीं हैं। और इसलिए ये जो भ्रम फैलाए जा रहे हैं, उनकी राजनीति चलती होगी, लेकिन समाज में इसके कारण दरारें पैदा होती हैं, तनाव पैदा होते हैं और समाज को दुर्बल बना करके, हम राष्‍ट्र को कभी सबल नहीं बना सकते हैं, इस बात को हम लोगों ने जिम्‍मेवारी के साथ समझना होगा।

बाबा साहेब अम्‍बेडकर का आर्थिक चिंतन और वैसे तो अर्थवेत्‍ता थे। उनकी पूरी पढ़ाई आर्थिक विषयों पर हुई और उनकी पीएचडी भी, जो लोग आज भारत की महान परंपराओं को गाली देने में गौरव अनुभव करते हैं, उनको शायद पता नहीं है, कि बाबा साहेब अम्‍बेडकर की Thesis भी भारत की उत्‍तम वैभवशाली व्‍यापार विषय को ले करके उन्‍होंने पीएचडी किया था। जो भारत के पुरातन हमारे गौरव को अभिव्‍यक्‍त करता था। लेकिन बाबा साहेब को समझना नहीं, बाबा साहेब की विशेषता को मानना नहीं, और इसको समझने के लिए सिर्फ किताबें काम नहीं आती हैं, बाबा साहेब को समझने के लिए समाज के प्रति संवेदना चाहिए और उस महापुरुष के प्रति भक्ति चाहिए, तब जा करके संभव होगा, तब जा करके संभव होगा। और इसलिए बाबा साहेब अम्‍बेडकर ने अपने आर्थिक चिंतन में एक बात साफ कही थी, वो इस बात को लगातार थे कि भारत का औद्योगिकरण बहुत अनिवार्य है। Industrialisation, उस समय से वो सोचते थे, एक तरफ labour reforms करते थे, labour के हक के लिए लड़ाई लड़ते थे, लेकिन राष्‍ट्र के लिए औद्योगिकरण की वकालत करते थे। देखिए कितना बढि़या combination है। लेकिन आज क्‍या हाल है, जो labour की सोचता है वो उद्योग की सोचने को तैयार नहीं, जो उद्योग की सोचता है वो labour की सोचने को तैयार नहीं है। और वहीँ बाबा साहेब अम्‍बेडकर थे जो दोनों की सोचते थे, क्‍योंकि राष्‍ट्र निष्‍ठा की तराजू से तोलते थे। और इसलिए वो दोनों की सोचते थे, और उसी का परिणाम ये है कि बाबा साहेब औद्योगिकरण के पक्षकार थे और उनका बड़ा महत्‍वपूर्ण तर्क था, वो साफ कहते थे, कि मेरे देश के जो दलित, पीडि़त, शोषित हैं, उनके पास जमीन नहीं है और हम नहीं चाहते वो खेत मजदूर की तरह अपनी जिंदगी पूरी करें, हम चाहते हैं वो मुसीबतों से बाहर निकलें। औद्योगिकरण की जरूरत इसलिए है कि मेरे दलित, पीडि़त, शोषित, वंचित लोगों को रोजगार के नए अवसर उपलब्‍ध हो जाएं, इसलिए औद्योगिकरण चाहिए। दलित, पीडि़त, शोषितों के पास जमीन नहीं है। खेती उसके नसीब में नहीं है। खेत मजदूर के नाते जिंदगी, क्‍या यही गुजारा करेगा क्‍या? और इसके लिए बाबा साहेब अम्‍बेडकर ने इन बातों को बल दिया। औद्योगिकरण को बल दिया।

इसी विज्ञान भवन में मेरे लिए एक बहुत बड़ा गौरव का दिन था, जब मैं दलित चैंबर के लोगों से यहां मिला था। मिलिंद यहां बैठा है, और देश भर से दलित Entrepreneur आए थे। और मैं तो हैरान, आनंद मुझे तब हुआ, कि दलितों में Women Entrepreneur भी बहुत बड़ी तादाद में आए थे। और उनका संकल्‍प क्‍या था, मैं मानता हूं बाबा साहेब अम्‍बेडकर को उत्‍तम से उत्‍तम श्रद्धाजंलि देने का प्रयास अगर कोई करता है, तो ये दलित चैंबर के मित्र कर रहे हैं। उन्‍होंने कहा, हम नहीं चाहते हैं कि दलित रोजगार पाने के लिए तड़पता रहे वो रोजगारी के लिए याचक बने, हम वो स्थिति पैदा करना चाहते हैं कि दलित रोजगार देने वाला बने। और उन्‍होंने हमारे सामने कुछ मांगे रखी थीं। और आज मैं गर्व के साथ कहता हूं, उस मीटिंग को चार महीने अभी तो पूरे नहीं हुए हैं, इस बजट में वो सारी मांगे मान ली गई हैं, सारी बातें लागू कर दी हैं। ये आपने अखबार में नहीं पढ़ा होगा। अच्‍छी चीजें बहुत कम आती हैं।

दलित Entrepreneurship, उसके लिए अनेक प्रोत्‍साहन, venture, capital, fund समेत कई बातें, इस field के लोगों ने जिन्‍होंने तय किया, जिनका माद्दा है कुछ करना है हमारे दलित युवाओं के लिए। वो बात इतनी ताकतवर थी कि सरकार को मांगे माने बिना, कोई चारा नहीं था जी। कोई आंदोलन नहीं किया था, कोई संघर्ष नहीं था लेकिन बात में दम था। और ये सरकार इतनी संवेदनशील है कि जिस बात से देश आगे बढ़ता है वो उसकी प्राथमिकता होती है, और हम भी उस पर चलते हैं।

मेरा कहने का तात्‍पर्य ये है भाइयो, कि हमें समाज की एकता को बल देना है। और बाबा साहेब से ये ही तो सीखना पड़ेगा। आप कल्‍पना कर सकते हो कि एक महापुरुष जिसको इतना जुल्‍म सहना पड़ा हो, जिसका बचपन अन्‍याय, उपेक्षा और उत्‍पीड़न से बीता हो, जिसने अपनी मां को अपमानित होते देखा हो, मुझे बताइए ऐसे व्‍यक्ति को मौका मिल जाए तो हिसाब चुकता करेगा कि नहीं करेगा? तुम, तुम मुझे पानी नहीं भरने देते थे, तुम मुझे मंदिर नहीं जाने देते थे, तुम, मेरे बच्‍चों को स्‍कूल में admission देने से मना करते थे। मुनष्‍य को जो level है ना, वहां ये बहुत स्‍वाभाविक है। लेकिन जो मानव से कुछ ऊपर है वो बाबा साहेब अम्‍बेडकर थे, कि जब उनके हाथ में कलम थी, कोई भी निर्णय करने की ताकत थी, लेकिन आप पूरा संविधान देख लीजिए, पूरी संविधान सभा की debate देख लीजिए, बाबा साहेब अम्‍बेडकर की बातों में, वाणी में, शब्‍द में, कहीं कटुता नजर नहीं आती है, कहीं बदले का भाव नजर नहीं आता है। उनका भाव यही रहा, और वो भाव क्‍या था, मैं अपने शब्‍दों में कह सकता हूं, कि कभी-कभार खाना खाते समय दांतों के बीच हमारी जीभ कट जाती है, लेकिन हम दांत तोड़ नहीं देते हैं। क्‍यों? क्‍योंकि हमें पता हैं दांत भी मेरे हैं, जीभ भी मेरी है। बाबा साहेब अम्‍बेडकर के लिए सवर्ण भी उनके थे और हमारे दलित, पीडि़त, शोषित भी, दोनों ही उनके लिए बराबर थे, और इसलिए बदले का नामो-निशान नहीं था, कटुता का नामो-निशान नहीं था। बदले के भाव को जन्‍म न देने का और समाज को साथ ले के चलने की प्रेरणा देने वाला प्रयास बाबा साहेब अम्‍बेडकर की हर बात में झलकता है और ये देश, सवा सौ करोड़ का देश बाबा साहेब अम्‍बेडकर का हमेशा-हमेशा ऋणी रहेगा, जिसने देश की एकता के लिए अपने जुल्‍मों को दबा दिया, गाढ़ दिया। भविष्‍य भारत का देखा और बदले की भावना के बिना समाज को एक करने की दिशा में प्रयास किया है।

क्‍या हम सब, हमारे राजनीतिक कारण कुछ भी होंगे, पराजय को झेलना बड़ा मुश्किल होता है। लेकिन उसके बावजूद भी जय और पराजय से भी समाज का जय बहुत बड़ा होता है, राष्‍ट्र का जय बहुत बड़ा होता है। और इसलिए उसके लिए समर्पित होना ये हम सबका दायित्‍व बनता है। इस दायित्‍व को ले करके बाबा साहेब अम्‍बेडकर ने जो उत्‍तम भूमिका निभाई है, राजनीतिक कारणों से इस महापुरुष के योगदान को अगर सही रूप में उनके जीवनकाल से ले करके अब तक अगर हमने प्रस्‍तुत किया होता तो आज भी समाज में कहीं-कहीं-कहीं तनाव नजर आता है, कभी-कभी टकराव नजर आता है, कभी-कभी खंरोच हो जाती है। मैं दावे से कहता हूं, अगर बाबा साहेब अम्‍बेडकर को हमने भुला न दिया होता, तो ये हाल न हुआ होता। अगर बाबा साहेब अम्‍बेडकर को फिर से एक बार हम उसी भाव के साथ, श्रद्धा के साथ जनसामान्‍य तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे तो ये जो कमियां हैं वो कमियां भी दूर हो जाएंगी, तो ताकत उस नाम में है, उस काम में है, उस समर्पण में है, उस त्‍याग में है, उस तपस्‍या में है, उस महान चीजें जो हमें दे करके गए हैं उसके अंदर पड़ा हुआ है और उसकी पूर्ति के लिए हम लोगों का प्रयास होना बहुत आवश्‍यक है।

और इसलिए बाबा साहेब मानवता के पक्षकार थे। अमानवता की हर चीज को वो नकारते थे। उसका परिमार्जन का प्रयास करते थे और हर चीज संवैधानिक तरीके से करते थे। लोकतांत्रिक‍ मर्यादाओं के साथ करते थे। बाबा साहेब के साथ क्‍या-क्‍या अन्‍याय किया, किस-किसने अन्‍याय किया, ये हम सब भली-भांति जानते हैं। हमारा संकल्‍प ये ही रहे दलित हो, पीडि़त हो, शोषित हो, जो गण वंचित हो, गरीब हो, आदिवासी हो, गांव में रहने वाला हो, झुग्‍गी-झोंपड़ी में जीने वाला हो, शिक्षा के अभाव में तरसने वाला हो, इन सबके लिए अगर कुछ काम करना है तो बाबा साहेब अम्‍बेडकर हमारे लिए सदा-सर्वदा एक प्रेरणा हैं और वो ही प्रेरणा हमें काम करने के लिए ताकत देती है।

आप देखिए, अभी मैं एक दिन बैठा था, मैं हमारे सरकार के लोगों से हिसाब मांग रहा था। मैंने कहा कि भई कितने गांव हैं जहां अब बिजली का खंभा भी नहीं पहुंचा है। आजादी के इतने साल बाद भी हिन्‍दुस्‍तान में 18 हजार गांव ऐसे पाए कि जहां बिजली का खंभा नहीं पहुंचा है। जिस बाबा साहेब अम्‍बेडकर ने power generation के लिए पूरा structure बना करके गए, 60 साल के बाद भी 18 हजार गांव में बिजली पहुंचेगी नहीं, तो बाबा साहेब अम्‍बेडकर को क्‍या श्रद्धाजंलि हम देंगे जी? हमने बीड़ा उठाया है, मैंने लालकिले से बोल दिया। जैसे आज बोल दिया न, 14 अप्रैल को मैं उद्घाटन करुंगा, 2018, लालकिले से मैंने बोल दिया 1000 दिन में मुझे 18,000 गांवों में बिजली पहुंचानी है और आप, आप अपने मोबाइल फोन पर देख सकते हैं, आज किस गांव में बिजली पहुंची। आजादी के 60 साल के बाद अब तक करीब-करीब 6000 से अधिक गांवों में बिजली पहुंच चुकी है, 18000 मुझे 1000 दिन में पूरे करने हैं, मैं देख रहा हूं शायद 18000, एक हजार दिन से भी कम समय में पूरा कर दूंगा। आप कल्‍पना कर सकते हैं, आप, आप एक साइकिल अपने पास रखो और सोच रहे हो कि भाई 2018 में स्‍कूटर लाना है। तो आप सोचते हैं किस colour का स्‍कूटर लाएंगे, किस कम्‍पनी का स्‍कूटर लाएंगे, अनेकों बार दुकान होगी तो देखते होंगे, brochure लेते होंगे, स्‍कूटर लाना है। साइकिल से स्‍कूटर जाएं तो भी एक और जिस दिन आए स्‍कूटर 10 रुपये की माला ला करके पहनाएंगे, नारियल फोड़ेंगे, मिठाई बांटेंगे, क्‍यों साइकिल से स्‍कूटर पर आए कितना आनंद होता है। 60 साल के बाद जिस गांव में बिजली आई होगी, कितना आनंद होगा, आप कल्‍पना कर सकते हैं। मैं उन 18000 गांवों को कहता हूं कि 60 साल के बाद आपके घर में भी बिजली आती है, तो मोदी का अभिनंदन मत करना, बाबा साहेब अम्‍बेडकर का करना, क्‍योंकि ये structure वो बनाके गए थे, लेकिन बीच वालों ने काम को पूरा नहीं किया। बाबा साहेब अम्‍बेडकर की इच्‍छा को मैं पूरा करने का सौभाग्‍य मानता हूं।

अभी 14 अप्रैल को मैं मऊ तो जा रहा हूं। ये पंचतीर्थ का निर्माण भी हमारे सौभाग्‍य का कारण बना है। जहां-जहां भाजपा की सरकारें हैं उन्‍हीं के समय हुआ है, ये सब। फिर भी बदनामी हमको दी जा रही है। क्‍या कारण था कि Indu Mills पर चैत्य भूमि का कार्य पहले की सरकारों ने नहीं किया। क्‍या कारण था 26-अलीपुर का फैसला आज करने की नौबत आई? क्‍या कारण है कि लंदन का मकान आज हम ले करके आए और राष्‍ट्र के लिए प्रेरणा दी? कोई भी मेरा दलित अब जाएगा लंदन उस मकान को जरूर देखने जाएगा। पढ़ने के लिए जाएगा या घूमने के लिए जाएगा, जरूर देखने जाएगा, मुझे विश्‍वास है। ये पंचतीर्थ की यात्रा, एक प्रेरक यात्रा बनी है कि समाज जीवन में कैसा परितर्वन आया और हर काम दिल्‍ली के अंदर दो स्‍मारक, 26-अलीपुर और हमारा जो मैंने 15-जनपथ जिसका मैनें, शायद एक साल हो गया और construction उसका तेजी से चल रहा है, उसका लोकार्पण तो बहुत जल्‍द होने की नौबत आ जाएगी।

तो ये सारे काम भारतीय जनता पार्टी के लोगों को सरकार बनाने का सौभाग्‍य मिला तब हुए हैं। और इसलिए क्‍योंकि हमारी ये श्रद्धा है। अभी 14 अप्रैल को मैं मऊ तो जा रहा हूं, लेकिन उस दिन हम एक बड़ा कार्यक्रम कर रहे हैं, मुंबई में। कौन सा कार्यक्रम? बाबा साहेब अम्‍बेडकर ने जो सपना देखा था भारत की जल शक्ति का maritime का water-way का। हम एक Global Conference 14 अप्रैल को पानी के संदर्भ में मुंबई में करने जा रहे हैं, वो भी बाबा साहेब अम्‍बेडकर की जन्‍म-जयंती पर तय की है।

मैं मऊ में कार्यक्रम launch करने वाला हूं। हमारे देश के किसानों को, क्‍योंकि बाबा साहेब अम्‍बेडकर का आर्थिक चिंतन बड़ा ताकतवर चिंतन है जी और आज भी relevant है। बाबा साहेब अम्‍बेडकर ने किसानों की चिंता की है, अपने चिंतन में। किसान जो पैदावार करता है उसकी market को ले करके बहुत बड़ी कठिनाइयां हैं। और बेचारा घर से निकलता है मंडी में जाता है तब तक मंडी में कोई लेने वाला नहीं होता है। आखिरकार अपनी सब्‍जी वहीं पशुओं को खाने के लिए छोड़ करके घर वापिस चला जाता है, ये हमने देखा है। 14 अप्रैल को हम एक E-market , E-platform तैयार कर रहे हैं, जो हमारा किसान अपने मोबाइल फोन पर तय कर पाएगा कि किस मंडी में क्‍या दाम है, और कहां माल बेचने से ज्‍यादा पैसा मिल सकता है, वो मेरा किसान तय कर सकता है, ये भी, ये भी 14 अप्रैल, बाबा साहेब की जन्‍म-जयंती के दिन हम लोग उसका प्रारंभ करने वाले हैं।

कहने का मेरा तात्‍पर्य ये है कि उस दिशा में देश को चलाना है। ऐसे महापुरुषों के चिंतन वो हमारी प्रेरणा हैं, हमें ताकत देते हैं और हम उनसे सीखते हैं। और मजा ये है कि उनकी बातें आज भी relevant हैं। उन बातों को ले करके चल रहे हैं और राष्‍ट्र के निर्माण के लिए, राष्‍ट्र के कल्‍याण के लिए ये ही सही राह है। एस: पंथ:, ये ही एक मार्ग है। उस मार्ग को ले करके हम आगे बढ़ रहे हैं। मैं फिर एक बार आप सब के बीच आने का मुझे सौभाग्‍य मिला और ये 60 साल से जो निर्णय नहीं हो पा रहा था, वाजपेयी जी ने जो सपना देखा था, उस सपने को पूरा करने का सौभाग्‍य हमें मिला है। मैं आपको विश्‍वास दिलाता हूं कि 14 अप्रैल, 2018, आप सब मौजूद रहिए। फिर एक बार उस भव्‍य स्‍मारक को बनाएंगे। बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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